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India News (इंडिया न्यूज़), Hinglaj Mata: खरगोन में स्थित देवी हिंगलाज का अत्यंत प्राचीन मंदिर 200 साल पुराना है। इस मंदिर में सोमवंशी सहस्त्रार्जुन क्षत्रिय समाज द्वारा हर साल 7 जुलाई को माता का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकलती है, जिसमें खरगोन सहित अन्य जिलों से श्रद्धालु भी शामिल होते हैं।
हिंगलाज माता का यह प्राचीन मंदिर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और महेश्वर नगरी में स्थित है। इस मंदिर में चार त्रिशूल रखे गए हैं, जिनके बीच देवी हिंगलाज माता की विशाल प्रतिमा स्थापित है। माता हिंगलाज माता का पिंडी स्वरूप में विराजमान होता है।
इस महोत्सव में प्रातः 5 बजे माता की काकड़ आरती होती है, और 9 बजे भव्य शोभायात्रा निकलती है। हवन पूजन के बाद माता को 56 भोग लगाए जाते हैं और खास कड़ाई प्रसादी बनाई जाती है। इस दिन महिला मंडल द्वारा प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जिनसे कक्षा 10 और 12 के विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया जाता है।
मंदिर के ओमप्रकाश मुकाती ने बताया कि त्रिशूल 200 साल पहले समाज के एक व्यक्ति ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान से मुख्य हिंगलाज माता के मंदिर से लाकर यहां स्थापित किया था। मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना है और 25 साल से यहां एक अखंड ज्योत भी जल रही है।
हिंगलाज माता की मान्यताएं विभिन्न हैं और इन्हें विभिन्न समाजों और समुदायों में विश्वास के रूप में देखा जाता है। यहां कुछ मुख्य मान्यताएं हैं:
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ये मान्यताएं हिंगलाज माता के मंदिर की महत्वपूर्ण पहचान हैं और उनके भक्त इन्हें अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
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