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क्या जानते हैं हिंगलाज माता के चमत्कारों की कहानियाँ, 200 साल पहले पाकिस्तान से आया था त्रिशूल-IndiaNews

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : June 30, 2024, 5:30 pm IST
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क्या जानते हैं हिंगलाज माता के चमत्कारों की कहानियाँ, 200 साल पहले पाकिस्तान से आया था त्रिशूल-IndiaNews

India News (इंडिया न्यूज़), Hinglaj Mata: खरगोन में स्थित देवी हिंगलाज का अत्यंत प्राचीन मंदिर 200 साल पुराना है। इस मंदिर में सोमवंशी सहस्त्रार्जुन क्षत्रिय समाज द्वारा हर साल 7 जुलाई को माता का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकलती है, जिसमें खरगोन सहित अन्य जिलों से श्रद्धालु भी शामिल होते हैं।

नर्मदा नदी के किनारे स्थित प्राचीन मंदिर

हिंगलाज माता का यह प्राचीन मंदिर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और महेश्वर नगरी में स्थित है। इस मंदिर में चार त्रिशूल रखे गए हैं, जिनके बीच देवी हिंगलाज माता की विशाल प्रतिमा स्थापित है। माता हिंगलाज माता का पिंडी स्वरूप में विराजमान होता है।

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जाने मंदिर के बारे में

इस महोत्सव में प्रातः 5 बजे माता की काकड़ आरती होती है, और 9 बजे भव्य शोभायात्रा निकलती है। हवन पूजन के बाद माता को 56 भोग लगाए जाते हैं और खास कड़ाई प्रसादी बनाई जाती है। इस दिन महिला मंडल द्वारा प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जिनसे कक्षा 10 और 12 के विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया जाता है।

मंदिर के ओमप्रकाश मुकाती ने बताया कि त्रिशूल 200 साल पहले समाज के एक व्यक्ति ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान से मुख्य हिंगलाज माता के मंदिर से लाकर यहां स्थापित किया था। मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना है और 25 साल से यहां एक अखंड ज्योत भी जल रही है।

हिंगलाज माता की मान्यताएं

हिंगलाज माता की मान्यताएं विभिन्न हैं और इन्हें विभिन्न समाजों और समुदायों में विश्वास के रूप में देखा जाता है। यहां कुछ मुख्य मान्यताएं हैं:

  1. देवी की प्राचीनता: हिंगलाज माता का मंदिर बहुत प्राचीन है और इसे समाज में विशेष मान्यता है कि यह मंदिर सम्पूर्णता और पवित्रता का प्रतीक है।
  2. धार्मिक महत्व: हिंगलाज माता को समाज में एक महत्वपूर्ण धार्मिक चेतना के रूप में देखा जाता है, जिसका उन्हें पूजन करना और उनके आग्रह का पालन करना मान्यता में है।
  3. माता की कृपा: हिंगलाज माता को उनके भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद का पात्र मानते हैं। इसे भक्तों के लिए विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति का स्रोत माना जाता है।
  4. समुदायिक एकता: हिंगलाज माता के उपासना से समाज में एकता और सामंजस्य का भाव फैलाया जाता है, जिसे विभिन्न समाजी आयोजनों में व्यक्त किया जाता है।
  5. जन्मोत्सव और महोत्सव: हर साल हिंगलाज माता के जन्मोत्सव और महोत्सवों को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें भक्तों के संग समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया जाता है।

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ये मान्यताएं हिंगलाज माता के मंदिर की महत्वपूर्ण पहचान हैं और उनके भक्त इन्हें अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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