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डॉ. अर्चिका दीदी
मनुष्य जब चारों ओर से घिर जाता है, कोई उसका मददगार नहीं बनता, तब ईश्वर ही उसकी सहायता करते हैं। चीरहरण के समय द्रौपदी कुरु सभा में जब तक अपनी सहायता के लिए अपने पांच पतियों सहित उपस्थित महान योद्घाओं को पुकारती रही तब तक उसे कोई सहारा प्राप्त नहीं हुआ।
किंतु जैसे ही उसने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया, उन्हें हृदय से पुकारा तो दु:शासन चीर खींचते-खींचते थककर जमीन पर गिर गया, लेकिन द्रौपदी की लाज पर कोई आंच नहीं आई। यहां विश्वास का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। ऐसे ही विश्वास से नरसी भगत ने वह चमत्कार कर दिखाया कि देखने वाले हैरान रह गए।
नरसी भगत की बेटी ने अपने विवाह के अवसर पर पिता को एक रस्म की आदाएगी के लिए अपने ससुराल बुलाया। ऐसे संकट के क्षणों में नरसी भगत अपने भगवान के प्रति पूर्ण रूप से विश्वस्त थे। साधुओं की टोली के साथ नरसी भगत पुत्री के घर पहुंचे। नरसी भगत को देखकर लोग हंस रहे हैं।
बेटी की सास बहू को ताने दे-देकर बेहाल कर रही है। यह साधुओं का टोला क्या रश्म अदाएगी करेगा?हमारी तो बेइज्जती हो जाएगी। क्या जरूरत थी इन सबको बुलाने की? नरसी भगत की बेटी भी सोच रही थी मेरे पिता साधु हैं भला वह कैसे रश्म के अनुसार उपहार देंगे। लेकिन नरसी भगत के चेहरे पर विश्वास और भक्ति की मुस्कान छाई हुई थी।
नरसी भगत की पुत्री ने अपने पिता के मस्तक पर तिलक लगाया, जल से उनका स्वागत किया, फल-फूल प्रदान किए। अब पिता के द्वारा उपहार भेंट करने की बारी आई, सब लोग नरसी भगत की ओर उत्सुकता से देख रहे थे कि फकीर क्या भेंट करेगा। नरसी भगत भगवान की भक्ति में लीन होकर श्री कृष्ण की छवि में मन लगाए रहे और चमत्कार हो गया। आकाश से हीरे-मोतियों की बरसात होने लगी। भक्त की हंसी उड़ाने वालों की आंखें चौंधिया गई।
सब लोग एक स्वर में नरसी भगत की जय-जयकार करने लगे। उनकी पुत्री की प्रसन्नता का कोई ठिकाना न रहा। नरसी भगत के साथ आए साधु भगवान के नाम का गुणगान करने लगे, सभी महिलाएं मंगलगान करने लगीं। नरसी भगत की यह कथा बताती है कि विश्वास में कितनी शक्ति है। यह दुनिया तो भक्त के विश्वास को हिलाने में कसर नहीं छोड़ती लेकिन जो भक्त अपने गुरु और इष्टदेव के प्रति पूर्ण निष्ठा रखता है उसके भरोसे को कोई तोड़ नहीं सकता। इसलिए जीवन में चाहे कैसे भी पल आएं अपने विश्वास की शक्ति को कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
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