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India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Story: जब द्रौपदी की शादी पांचों पांडव भाइयों से हुई थी, तब एक नियम यह भी बनाया गया था कि शादी के बाद वह उनके साथ कैसे रहेगी। गोपनीयता के इस नियम का हर पांडव भाई सख्ती से पालन करता था। हालांकि, एक बार अर्जुन ने इसका उल्लंघन किया और खुद को 12 साल के वनवास की सजा सुनाई। तो क्या आप जानते हैं कि द्रौपदी प्रत्येक भाई के साथ पत्नी के रूप में कितने समय तक रही?
महाभारत में एक घटना का उल्लेख है कि जब द्रौपदी युधिष्ठिर के साथ थी, तब अर्जुन अनजाने में उसके कमरे में प्रवेश कर गया। इस घटना ने पांडवों के बीच स्थापित नियमों और उनकी आपसी मर्यादा की परीक्षा ली। जब द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्नी बन गई, तो यह तय हुआ कि द्रौपदी एक समय में केवल एक पांडव के साथ रहेगी।
उसी समय पांचों पांडव भाइयों और द्रौपदी के बीच एक नियम बना था। इसके अनुसार जो पांडव उस अवधि में द्रौपदी के साथ रहेगा, अन्य पांडव उसके निजी स्थान में प्रवेश नहीं करेंगे। अगर कोई अनजाने में ऐसा करता है तो उसे स्व-निर्वासन (वनवास) में जाना होगा। हम आपको आगे बताएंगे कि द्रौपदी प्रत्येक पांडव भाई के साथ कितने दिनों तक पत्नी के रूप में रहने लगी।
पहले जानिए कैसे एक बार ही तोड़ा गया यह नियम और फिर क्या हुआ। एक दिन अर्जुन को अपने धनुष और बाण की जरूरत पड़ी, जो युधिष्ठिर के कमरे में रखे थे। तब युधिष्ठिर और द्रौपदी अपने निजी कमरे में अकेले थे।
अर्जुन जानता था कि नियमों के अनुसार उसे कमरे में प्रवेश नहीं करना चाहिए, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उसने नियम तोड़ दिया और कमरे में प्रवेश कर गया। अर्जुन ने स्वीकार किया कि उसने नियम तोड़ा है, भले ही उसके इरादे सही थे। नियमों के अनुसार उसे 12 वर्ष के लिए वनवास जाना था। यह निर्णय अर्जुन ने स्वयं लिया था, क्योंकि पांडवों में आपसी मर्यादा और धर्म का पालन सबसे महत्वपूर्ण था।
युधिष्ठिर ने अर्जुन के वनवास जाने के निर्णय का सम्मान किया। इस वनवास के दौरान अर्जुन 12 वर्ष तक अलग-अलग स्थानों पर रहे। इस दौरान उन्होंने उलूपी (नागकन्या), चित्रांगदा और सुभद्रा से विवाह भी किया। उन्होंने दिव्यास्त्रों का अभ्यास किया। उन्होंने तपस्या करके शिव को प्रसन्न किया।
अब आइए जानते हैं कि द्रौपदी ने प्रत्येक पांडव भाई के साथ पत्नी के रूप में रहने का समय कैसे तय किया था। महाभारत के कुछ संस्करणों और विभिन्न व्याख्याओं में कहा गया है कि प्रत्येक पांडव के द्रौपदी के साथ रहने की अवधि दो महीने और 12 दिन (72 दिन) थी।
इस तरह पूरे वर्ष में पांचों पांडवों के साथ द्रौपदी का 360 दिनों का चक्र पूरा हो गया। हालांकि, दक्षिण भारतीय और उत्तर भारतीय संस्करणों में इस अवधि में अंतर है। महाभारत के दक्षिण भारतीय संस्करणों और उससे जुड़ी कहानियों में कहा गया है कि द्रौपदी प्रत्येक पांडव के साथ एक वर्ष तक रहती थीं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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