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गया में पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान से मिलते हैं 4 गुना पुण्य…घर पर श्राद्ध पूजा से पितृ प्रसन्न होकर सालो की अधूरी इच्छा भी कर देंगे पूर्ण

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : September 7, 2024, 4:00 pm IST
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गया में पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान से मिलते हैं 4 गुना पुण्य…घर पर श्राद्ध पूजा से पितृ प्रसन्न होकर सालो की अधूरी इच्छा भी कर देंगे पूर्ण

India News (इंडिया न्यूज़), Shraddha Puja: भले ही पितृपक्ष के आगमन में अभी लगभग 8 दिन का समय बाकी है, लेकिन इस अवसर की तैयारी पहले से ही की जाती है। हिंदू धर्म में पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान का विशेष महत्व है, और विशेष रूप से गया में पिंडदान करना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गया में पिंडदान करने से चार गुना पुण्य प्राप्त होता है। गया में पिंडदान का धार्मिक महत्व अद्वितीय है और यहां मिलने वाला पुण्य भी विशेष होता है। यदि कोई व्यक्ति गया नहीं जा सकता, तो घर में विधिपूर्वक श्राद्ध पूजा, तर्पण, और पिंडदान करके भी पितर तृप्त हो सकते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए श्रद्धा और नियमपूर्वक की गई पूजा सबसे अधिक प्रभावी होती है।

गया में पिंडदान का धार्मिक महत्व

गया में पिंडदान का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। गया के धार्मिक महत्व को समझाते हुए, गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि गया में पिंडदान करना विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है। ऐसा मान्यता है कि भगवान विष्णु स्वयं गया में निवास करते हैं और यहाँ पिंडदान करने से पितर तुरंत मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं।

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गया का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है, जहां भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था। यही कारण है कि यह स्थान पितरों की तृप्ति के लिए सर्वोच्च माना जाता है। पंडित जी का कहना है कि गया में पिंडदान करने से चार गुना पुण्य मिलने की मान्यता इसलिए है क्योंकि यह स्थान भगवान विष्णु और माता सीता से जुड़ा हुआ है। यहां की ऊर्जा और दिव्यता से पिंडदान का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

घर में श्राद्ध पूजा का महत्व

अगर किसी कारणवश गया में पिंडदान करना संभव नहीं हो पाता, तो घर में विधिपूर्वक श्राद्ध पूजा करना भी अत्यंत प्रभावी होता है। पंडित राजा आचार्य के अनुसार, पितरों की तृप्ति के लिए घर में श्राद्ध पूजा करना एक महत्वपूर्ण विधि है।

श्राद्ध के दौरान, ब्राह्मणों को भोजन कराना और पितरों के नाम पर दान देना पुण्यकारी माना जाता है। घर में पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान की विधियाँ की जा सकती हैं। इस प्रक्रिया में तिल, जल, और जौ के साथ पिंड बनाए जाते हैं और पितरों को अर्पित किए जाते हैं। यह पूजा किसी पवित्र नदी के किनारे या घर के किसी शुद्ध स्थान पर की जाती है।

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दीपदान और पितृ आशीर्वाद

पितरों की तृप्ति के लिए दीपदान भी एक प्रभावशाली विधि मानी जाती है। श्राद्ध के दिन घर के आंगन या तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना शुभ होता है। इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

इस प्रकार, पितृपक्ष में गया में पिंडदान करना विशेष पुण्यकारी माना जाता है, लेकिन अगर वहां जाना संभव न हो तो घर में विधिपूर्वक श्राद्ध पूजा और अन्य धार्मिक कर्म भी पितरों की तृप्ति के लिए प्रभावी होते हैं। श्रद्धा और नियमपूर्वक की गई पूजा से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।

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