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India News (इंडिया न्यूज), Duryodhan In Mahabharat: महाभारत में कई ऐसे रहस्य हैं जो आज भी किसी पहेली से कम नहीं हैं। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के सभी पात्र न केवल अपने वर्तमान जन्म के रहस्य से जुड़े थे बल्कि उनके पिछले जन्मों के बारे में भी कई ऐसी बातें थीं जो अनसुनी और चौंकाने वाली थीं। दुर्योधन का पिछला जन्म भी बहुत ही आश्चर्यजनक है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुर्योधन अपने पिछले जन्म में देवता था और द्वापर युग में वह अधर्मी के रूप में पैदा हुआ था। तो चलिए जानते हैं कि धृतराष्ट्र का पुत्र दुर्योधन देवता से पापी कैसे बना। महाभारत के ग्रंथो के मुताबिक दुर्योधन के पूर्व जन्म में कलयुग का अंशावतार बताया गया है।
महाभारत ग्रंथ के अनुसार, दुर्योधन को उसके पूर्व जन्म में कलयुग का अंशावतार बताया गया है। जो पूरी तरह से कुकर्मों में लिप्त था और बुराइयां उसमें अंतर्निहित थीं। हालांकि हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, भविष्य पुराण और गीता गोरखपुर प्रेस की ‘जय काव्य’ पुस्तक में दुर्योधन को कलियुग का देवता माना गया है।
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महाभारत के अनुसार महर्षि वेद व्यास ने वर्णन किया है कि कलियुग का आरंभ द्वापर युग के बाद होना लिखा है, लेकिन इसके कुछ लक्षण द्वापर युग से पहले और उस युग के दौरान भी दिखाई देंगे। कलियुग के ये लक्षण उस व्यक्ति को दिखाई देंगे जो भक्ति से पाप की ओर अग्रसर हो गया है। ऐसा माना जाता है कि कलियुग कैसा होगा, यह दिखाने के लिए देवताओं ने एक देवता बनाया जिसे कलियुग देव के नाम से जाना जाता है। कलियुग देव शुरू में भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे, लेकिन अपने दूसरे जन्म में वे दुर्योधन के रूप में बहुत दुष्ट और पापी व्यक्ति बन गए और द्वापर में वे श्री कृष्ण के दुश्मन बन गए।
ऐसी मान्यता है कि जब पांडु पुत्र भीम ने दुर्योधन का वध कर दिया था, तब स्वयं श्री कृष्ण ने दुर्योधन को उसके जन्म का उद्देश्य बताया था और साथ ही दुर्योधन को आशीर्वाद दिया था कि जब वह कलियुग में एक आम इंसान के रूप में जन्म लेगा, तो उसे श्री कृष्ण की अपार भक्ति करने का मौका मिलेगा।
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