India News (इंडिया न्यूज), Pradosh Vrat 2024: आज कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान गणेश और नंदी की भी पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों की त्रयोदशी तिथि (13वें दिन) को रखा जाता है। इसलिए हिंदू कैलेंडर में यह हर महीने दो बार आता है। ऐसे में आइए जानते हैं नवंबर के पहले प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
13 नवंबर, शाम 05:38 बजे से रात 08:15 बजे तक। स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत के लाभों का उल्लेख किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस पवित्र व्रत को भक्ति और विश्वास के साथ करता है, उसे संतुष्टि, धन और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
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प्रदोष के दिन सूर्योदय और सूर्यास्त से ठीक पहले का समय शुभ माना जाता है। इस समय की गई सभी पूजा और प्रार्थनाएं बहुत फलदायी होती हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा की तैयारी करें।
पूजा स्थल को साफ करें और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें, फिर उन पर बिल्व पत्र चढ़ाएं। वहीं, अगर आप शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं तो पहले उसे दूध, दही और घी से स्नान कराएं और बेल पत्र चढ़ाएं।
ऐसा करने के बाद प्रदोष व्रत कथा या शिवपुराण का पाठ करें। आप चाहें तो 108 बार महामृत्युंजय का जाप भी कर सकते हैं। वहीं, पूजा समाप्त होने के बाद कलश से जल लेकर माथे पर विभूति लगाएं। मान्यता है कि इस दिन शाम के समय शिव मंदिर या किसी पवित्र स्थान पर दीपक जलाना बहुत फलदायी होता है।
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