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दस दिनों तक क्यों मनाई जाती है Ganesh Chaturthi? जानें इसके पीछे की वजह

BY: Ankita Pandey • LAST UPDATED : September 5, 2024, 12:28 pm IST
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दस दिनों तक क्यों मनाई जाती है Ganesh Chaturthi? जानें इसके पीछे की वजह

Ganesh Chaturthi

India News (इंडिया न्यूज़), Ganesh Chaturthi 2024:  हिंदू कैलेंडर में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस खास पर्व को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है। श्री गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। पर इस पर्व को अगले दस दिनों तक मनाया जाता है। इस समय घरों पर और और कई सावर्जनिक स्थानों पर उनकी उनकी मूर्ती स्थापित की जाती है। आईए जानते है आखिरकार गणेश जन्मोत्सव का पर्व दस दिनों तक ही क्यों मनाया जाता है और इसकी वजह क्या है।

क्या है दस दिन के गणेश उत्सव की मान्यता

मान्यता के मुताबिक वेदव्यास ने भगवान गणेश से महाभारत ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की। श्रीगणेश ने बिना रुके दस दिनों तक लगातार महाभारत लिखी। इस बीच एक ही स्थान पर लगातार लेखन करते-करते श्रीगणेश के शरीर पर धूल-मिट्टी जम गई और दसवें दिन भगवान गणेश ने सरस्वती नदी में स्नान करके शरीर पर जमी धूल-मिट्टी को साफ किया और तभी से गणेश उत्सव के दसवें दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

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एक मान्यता और है जिसके अनुसार इन दस दिनों में भगवान गणेश पृथ्वी पर यात्रा करते हैं और जहां उनके भक्त उनका स्वागत करते हैं, उन्हें अपने घर में आमंत्रित करते हैं। इस समय घरों पर और और कई सावर्जनिक स्थानों पर उनकी उनकी मुर्ती स्थापित की जाती है। दसवें दिन यानि की अंनत चतुर्दशी के दिन इस उत्सव का समापन होता है, गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है और भक्त उन्हें विदा करते हैं और साथ हीं अगले साल वापस आने के लिए आशीर्वाद भी लेते हैं।

गणेश जी की उत्पत्ति कैसे हुई थी

भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के शरीर की मैल से हुआ था। माता पार्वती मूर्ति में प्राण फूंक दिए थे और श्रीगणेश को अपने कक्ष की रखवाली करने का काम दिया था। जब माता पार्वती के कक्ष में भगवान शिव ने प्रवेश करने का प्रयास किए, तब शिव जी की पहचान से अनजान श्रीगणेश ने उनका रास्ता रोक दिया था और भगवान शिव ने क्रोधित हो कर बाल गणेश का सिर धड़ मे अलग कर दिया। पुत्र की मौत से दुःखी मां पार्वती क्रोधीत हो गईं और अपने पुत्र को जीवित करने के लिए शिव जी से विनती की। जिसके बाद शिव जी ने गणेश जी के सिर की जगह हाथी का सिर लगाया और उन्हें नया जीवन प्राप्त हुआ।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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