India News (इंडिया न्यूज),Garud Puran: यमराज सूर्य देव के पुत्र हैं, जिन्हें मृत्यु का देवता कहा जाता है। गरुड़ पुराण में यमराज से लेकर यमलोक तक का वर्णन किया गया है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु निकट आ जाती है तो यमराज के दूत उसकी आत्मा को यमलोक ले जाते हैं। जहां व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल भोगना पड़ता है।

कर्म पर निर्भर करता है स्वर्ग या नर्क

देवताओं के लेखाकार और यम के सहायक कहे जाने वाले चित्रगुप्त आत्माओं का लेखा-जोखा रखते हैं। गरुड़ पुराण में माना गया है कि व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसे स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है। जहां अच्छे कर्मों के लिए व्यक्ति को स्वर्ग मिलता है वहीं बुरे कर्मों के लिए व्यक्ति को नर्क भोगना पड़ता है।

कैसा है यमराज का महल?

गरुण पुराण में यमराज के महल का वर्णन किया गया है। इसके अनुसार यमराज के महल का नाम कालीत्री है। उनके सिंहासन का नाम विचार-भू है। यमलोक के भवन का निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया है। पद्म पुराण में बताया गया है कि यमलोक पृथ्वी से 86 हजार योजन यानी करीब 12 लाख किलोमीटर दूर है।

कैसा है नर्क?

पुराणों में यमलोक को बहुत डरावना बताया गया है। इसके अनुसार यहां आत्माओं को अपने कर्मों के अनुसार विभिन्न प्रकार की आत्माओं का सामना करना पड़ता है। यमलोक में चार दरवाजे हैं, जिनसे अलग-अलग आत्माओं को प्रवेश मिलता है। धार्मिक और पुण्य आत्माओं को पूर्वी द्वार से प्रवेश दिया जाता है, जबकि पापियों को दक्षिणी द्वार से प्रवेश दिया जाता है। वहीं, उत्तर का दरवाजा साधु-संतों के प्रवेश के लिए है और पश्चिम का दरवाजा दान-पुण्य करने वाले लोगों के लिए खोला जाता है।

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