Garuda Purana : हिंदू दर्शन में ये मान्यता है कि मनुष्य द्वारा इस संसार में किया गया हर कर्म मृत्यु के बाद उसके परिणामस्वरूप मिलता है. ये कर्म और उसके फल की अवधारणा कई प्राचीन ग्रंथों में डिटेल से बताई गई है, जिन्हें पुराण कहा जाता है. पुराणों का संबंध देवी-देवताओं से जोड़ा जाता है. गरुड़ पुराण भी ऐसे ही एक बड़े ग्रंथों में से एक है, जिसका नाम लगभग सभी ने सुना होगा, लेकिन इसके अर्थ और शिक्षाओं को समझना जरूरी है.
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) विष्णु पुराण का एक हिस्सा माना जाता है. इसमें भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच हुई वार्तालापों को दिखाया गया है. ये पुराण केवल आध्यात्मिक ज्ञान नहीं देता, बल्कि जीवन में अपनाने योग्य नियम भी बताता है. इनके पालन से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है.
घर-परिवार की समृद्धि के नियम
गरुड़ पुराण में घर और परिवार में समृद्धि बनाए रखने के लिए कई जरूरी बातें बताई गई हैं. खासतौर पर भोजन और रसोई से जुड़ी कई शिक्षाएं दी गई हैं. इसमें कहा गया है कि भगवान को भोजन भोग लगाने से पहले यदि जूठा न किया जाए, तो उस परिवार में कभी धन-दौलत की कमी नहीं होती. रसोई को साफ-सुथरा रखना और बचा हुआ भोजन जूठा न रखना मां अन्नपूर्णा और माता लक्ष्मी की कृपा पाने का महत्वपूर्ण तरीका है.
महिलाओं और बुजुर्गों के सम्मान का महत्व
इस पुराण में महिलाओं के सम्मान पर विशेष जोर दिया गया है. कहा गया है कि जहां स्त्रियों का आदर होता है, वहां लक्ष्मी का स्थायी वास होता है. वहीं महिलाओं के अपमान से परिवार की खुशहाली और समृद्धि धीरे-धीरे खत्म हो जाती है. इसके अलावा, माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करना भी जरूरी है. गरुड़ पुराण बताता है कि बिना बड़ों के आशीर्वाद के मनुष्य के प्रयास सफल नहीं होते. इसलिए बुजुर्गों की सेवा और आदर न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि जीवन की सफलता के लिए भी जरूरी है.
दान और पुण्य का महत्व
हिंदू धर्म में दान और पुण्य को सर्वोच्च कार्य माना गया है. गरुड़ पुराण के अनुसार, हर व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए. नियमित दान से पाप नष्ट होते हैं, आत्मा शुद्ध होती है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस तरह ये पुराण आध्यात्मिकता और सामाजिक जिम्मेदारी को जोड़ता है.