ADVERTISEMENT
होम / धर्म / इंसान की अकाल मौत के बाद आत्मा के साथ क्या-क्या होता है? परिजनों ने नहीं किया ये काम तो होता है दर्दनाक हाल

इंसान की अकाल मौत के बाद आत्मा के साथ क्या-क्या होता है? परिजनों ने नहीं किया ये काम तो होता है दर्दनाक हाल

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : October 8, 2024, 12:00 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

इंसान की अकाल मौत के बाद आत्मा के साथ क्या-क्या होता है? परिजनों ने नहीं किया ये काम तो होता है दर्दनाक हाल

Akaal Mrityu Ko Moksh Prapti: गरुड़ पुराण के अनुसार, नारायण बलि पूजा का आयोजन पवित्र तीर्थस्थल, देवालय, या घाट के पास करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसे पितृ पक्ष या किसी बड़े अमावस्या के दिन कराना विशेष लाभकारी होता है। इस पूजा के परिणामस्वरूप, जीवात्मा को मुक्ति मिलती है और परिवार के पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

India News (इंडिया न्यूज), Akaal Mrityu Ko Moksh Prapti: हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक कर्मकांड का एक विशेष विधान है, जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को संवारने का प्रयास करता है। गरुड़ पुराण, जो भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच संवाद है, में अनेक शिक्षाएं और उपदेश हैं जो मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। विशेषकर, अकाल मृत्यु का प्रकरण और उससे संबंधित नारायण बलि पूजा का विधान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अकाल मृत्यु

गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की आकस्मिक या असामान्य मृत्यु होती है—जैसे अचानक चोट लगने, दुर्घटना या अन्य कारणों से—तो उसे अकाल मृत्यु कहा जाता है। इस स्थिति में जीवात्मा का संसारिक मोह और अधूरी इच्छाएं उसे बहुत कष्ट देती हैं। ऐसे में, जीवात्मा अपने मृत शरीर को देखती है और उसे अपनों से मोह होता है, जिससे वह व्याकुल होती है।

मृत्यु के बाद भूलकर भी इन 2 दिनों में नहीं जलानी चाहिए अगरबत्ती, आत्मा को ऐसे देती है पीड़ा कि आपकी भी कांप उठेगी रूह?

जीवात्मा की स्थिति

अकाल मृत्यु के बाद, जीवात्मा को प्रेत योनि में जाना पड़ता है। गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि वह जीवात्मा अपनी सीमित आयु तक भटकती रहती है और अपनी अधूरी इच्छाओं के कारण दुःख भोगती है। जब तक उचित कर्मकांड या अंतिम संस्कार नहीं होता, तब तक उसे शांति नहीं मिलती।

नारायण बलि पूजा का महत्व

अकाल मृत्यु के उपरांत जीवात्मा को शांति प्रदान करने के लिए गरुड़ पुराण में नारायण बलि पूजा का विधान बताया गया है। यह पूजा विशेष रूप से उस जीवात्मा की मुक्ति के लिए होती है, ताकि वह कर्म बंधन से मुक्त हो सके।

इस पूजा में भगवान विष्णु से जीवात्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है और उसके द्वारा किए गए कर्मों के प्राश्चित के लिए क्षमा याचना की जाती है। पूजा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश के निमित्त एक-एक पिंड बनाकर 5 उच्च वेद पाठी ब्राह्मणों द्वारा विधि-विधान से संपन्न की जाती है।

कौन है अनुरुद्धाचार्य महाराज की पत्नी? दिल जीत लेगी सादगी, पति की टीम में रखती हैं भारी-भरकम औदा

पूजा का स्थान और समय

गरुड़ पुराण के अनुसार, नारायण बलि पूजा का आयोजन पवित्र तीर्थस्थल, देवालय, या घाट के पास करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसे पितृ पक्ष या किसी बड़े अमावस्या के दिन कराना विशेष लाभकारी होता है। इस पूजा के परिणामस्वरूप, जीवात्मा को मुक्ति मिलती है और परिवार के पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

नारायण बलि पूजा अकाल मृत्यु के बाद जीवात्मा को शांति प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। यह न केवल मृतक की आत्मा के लिए, बल्कि जीवित परिजनों के लिए भी एक आवश्यक कर्म है, जिससे वे पितृ दोष से मुक्त होते हैं और परिवार में संपन्नता बनी रहती है। गरुड़ पुराण की शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि मृत्यु के बाद भी हमारे कर्मों का प्रभाव हमारे जीवन पर बना रहता है और उन कर्मों का प्रायश्चित करना आवश्यक है।

जिन बच्चों का जन्म होता है नवरात्रि के दौरान…उनमे पाई जाती है ये विशेष खूबियां, कही आपका बच्चा भी तो नहीं?

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

Garun PuranIndia newsindianewslatest india newstoday india newsइंडिया न्यूज

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT