Gathbandhan In Wedding: भारत में शादियां अलग-अलग धर्मों और रीति-रिवाजों के हिसाब से होती हैं. खास तौर पर, हिंदू शादियों में कई रस्मों का बहुत महत्व होता है. पवित्र धागे के सात फेरों से पहले की रस्म को ‘गंधन’ (पवित्र व्रत) कहा जाता है. यह एक ऐसा पड़ाव है जिसके बिना शादी अधूरी मानी जाती है.
‘गंधन’ क्या है? ‘गंधन’ का मतलब है दो लोगों को एक पवित्र बंधन में बांधना. इस रस्म के दौरान, दुल्हन की चुन्नी (घूंघट) और दूल्हे की पगड़ी को दुपट्टे (दुपट्टे) से कसकर बांधा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस गांठ को कभी नहीं खोलना चाहिए, क्योंकि यह प्यार, विश्वास और साथ रहने के वादे की निशानी है.
‘गंधन’ (पवित्र व्रत) कौन करता है?
यह रस्म कोई अकेला व्यक्ति नहीं करता है. इसे आमतौर पर दूल्हे की बहन करती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बहन अपनी भाभी को प्यार और सम्मान के साथ अपने परिवार में अपनाती है. इससे यह भी पता चलता है कि शादी सिर्फ़ दो लोगों के बारे में नहीं, बल्कि दो परिवारों के बारे में भी होती है.
गांधन के लिए किस रंग का दुपट्टा इस्तेमाल किया जाता है?
गांधन बांधते समय आमतौर पर पीले या गुलाबी दुपट्टे का इस्तेमाल किया जाता है. इन रंगों को शुभ माना जाता है और ये अच्छी किस्मत और खुशहाली का प्रतीक हैं, इसीलिए इन्हें शादी जैसे पवित्र समारोह में इस्तेमाल किया जाता है.
गांधन का क्या महत्व है?
यह रस्म पति-पत्नी के बीच रिश्ते को मज़बूत करने का प्रतीक है. जब गांधन बांधा जाता है, तो इसका मतलब है कि दोनों एक-दूसरे का सम्मान करेंगे, भरोसा बनाए रखेंगे और हर स्थिति में एक-दूसरे का साथ देंगे.
साफ़ और शुद्ध कपड़े से गांठ बांधने का मतलब है कि रिश्ता हमेशा सच्चाई और पवित्रता पर आधारित रहेगा.
गांधन गांठ में रखी जाने वाली चीजें और उनका मतलब
सिक्का
ऐसा माना जाता है कि शादी के बाद जोड़े को पैसे या फाइनेंशियल दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. फूल – यह दिखाता है कि पति-पत्नी के बीच प्यार, मिठास और खुशी हमेशा बनी रहेगी.
चावल
चावल रखने का मतलब है कि जीवन में कभी भी खाने, पैसे या घर की ज़रूरतों की कमी नहीं होगी.
हल्दी
यह दोनों के लिए अच्छी सेहत, सुरक्षा और लंबी उम्र की निशानी है.
दूर्वा (घास)
यह पॉज़िटिव सोच, एनर्जी और तरक्की की निशानी है, जो जीवन में उत्साह बनाए रखने में मदद करती है.