गोवर्धन पूजा का महत्व (Significance of Govardhan Puja)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाया था. इस घटना ने इंद्र के अहंकार को तोड़ा और ब्रजवासियों को यह संदेश दिया कि प्रकृति और धरती माता की पूजा ही सच्ची आराधना है. तभी से इस दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है. उत्तर भारत में यह पर्व विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल और नंदगांव जैसे ब्रज क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है. श्रद्धालु इस दिन गायों की पूजा करते हैं, जिन्हें देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, और भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग अर्पित करते हैं.
गोवर्धन पूजा की तिथि और समय
इस वर्ष गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 54 मिनट पर हो चुकी थी और यह 22 अक्टूबर की रात 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. जो लोग पहली शुभ घड़ी में पूजा नहीं कर पाए हैं, वे नीचे दिए गए अन्य मुहूर्तों में पूजा कर सकते हैं.
सुबह 6 बजकर 26 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट तक- यह मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है. यदि आपने इस समय पूजा नहीं की है, तो चिंता की बात नहीं आज दिन में दो और शुभ समय उपलब्ध हैं.
दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शाम 5 बजकर 44 मिनट तक- यह मुहूर्त भी अत्यंत शुभ है. इस समय में पूजा करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है.
तीसरा मुहूर्त:
शाम 5 बजकर 44 मिनट से 6 बजकर 10 मिनट तक- यह मुहूर्त दिन का अंतिम और संध्या बेला का है. इस समय गोवर्धन पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की आरती और भोग इसी समय किए जाते हैं.
गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)
- गोवर्धन पूजा के दिन सुबह स्नान के बाद घर के मुख्य द्वार या आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक रूप बनाएं. इसके चारों ओर पेड़-पौधों, ग्वालों और पशुओं की आकृतियां सजाएं.
- गोवर्धन पर्वत के बीच में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें और उनके सामने अन्नकूट का भोग लगाएं.
- भोग में गेहूं, चावल, बेसन, और हरी पत्तेदार सब्जियों से बने 56 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं.
- पूजन के बाद गोवर्धन पूजा की कथा सुने और फिर प्रसाद बांटें.
गोवर्धन पूजा की कथा
पुराणों के अनुसार, एक बार इंद्र देव के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को आदेश दिया कि वे इंद्र की पूजा न करके गोवर्धन पर्वत की पूजा करें, क्योंकि वही उनकी गायों और फसलों को पोषण देता है. इससे क्रोधित होकर इंद्र ने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी. तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सात दिनों तक ब्रजवासियों और गायों की रक्षा की. इस घटना के बाद इंद्र ने क्षमा मांगी. मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने खुद 56 भोग बना कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया था.