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Gupt Daan: दान या ड्रामा? गुप्त दान की जगह ले रहा है सोशल मीडिया शो-ऑफ, शास्त्रों की सीख को लोग कर रहे नजरअंदाज

Gupt Daan: शास्त्रों में गुप्त दान के बारे में बताया गया है. हालांकि, आजकल लोग इसके महत्व को भूलते जा रहे हैं. आजकल ग दान का मतलब है कैमरा ऑन करना. लेकिन क्या यह सही है? आइए जानतें हैं विस्तार से .

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: December 11, 2025 17:21:11 IST

Gupt Daan: हिंदू धर्म में दान को पुण्य, करुणा और आत्म-शुद्धि का सबसे बड़ा साधन माना जाता है. आइए जानते हैं कि आज के डिजिटल और सोशल मीडिया के युग में शास्त्रों में श्रेष्ठ बताए गए इस गुप्त दान का कितना पालन किया जा रहा है.

 गुप्त दान के महत्व का वर्णन लगभग सभी धार्मिक ग्रंथों में किया गया है, जिसमें भागवत पुराण, अग्नि पुराण, महाभारत और मनुस्मृति शामिल हैं. गुप्त दान का मतलब है इस तरह से दान देना कि आपके बाएं हाथ को भी पता न चले कि आपका दाहिना हाथ क्या कर रहा है. इसलिए, गुप्त दान को पुण्य फल देने वाला माना जाता है. शास्त्रों में गुप्त दान को शाश्वत पुण्य के बराबर माना गया है.

दान का मतलब

हमने धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में उदार दानदाताओं की कई कहानियां सुनी हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या आज के आधुनिक समय में लोग गुप्त दान के महत्व को सच में समझ रहे हैं और उसका पालन कर रहे हैं? इसका जवाब हां और ना दोनों है. आज भी कई लोग मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर गुप्त रूप से दान करते हैं, और गरीबों को खाना दान करते हैं, लेकिन सभी नहीं.

भगवद गीता के अनुसार

भगवद गीता के अनुसार, वह दान जो कर्तव्य समझकर, बिना किसी फल की इच्छा या लालच के, सही समय पर, सही जगह पर और योग्य व्यक्ति को दिया जाता है, उसे सात्विक दान माना जाता है.यह सात्विक दान, गुप्त दान का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है. इसमें दान देने वाले में कोई अहंकार नहीं होता, केवल करुणा होती है. लेकिन धीरे-धीरे यह भुलाया जा रहा है. आज स्थिति यह है कि चाहे कोई जानवर हो, गरीब व्यक्ति हो, या कोई जरूरतमंद हो, लोग उनकी मदद करने से पहले कैमरा ऑन करना नहीं भूलते. इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि आज के आधुनिक समय में लोग गायों और गरीबों को खाना दिखावे के लिए दे रहे हैं.

शास्त्रों के अनुसार

जबकि, शास्त्रों के अनुसार, गुप्त दान का मतलब है ऐसा दान जिसे सार्वजनिक न किया जाए, न ही दान लेने वाले को अपमानित महसूस हो, और न ही समाज में इसका प्रचार किया जाए. गरुड़ पुराण और मनु स्मृति जैसे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दिखावे, प्रसिद्धि या स्वार्थी मकसद से किए गए दान का पुण्य कम हो जाता है.

आजकल दान का मतलब

सोशल मीडिया के जमाने में, गुप्त दान का महत्व शायद खत्म  हो रहा है. हालांकि, लोगों को दान करने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है, जिससे कई लोग आगे आकर मदद कर रहे हैं. सोशल मीडिया कैंपेन, जैसे कि गाय को खाना खिलाना या गरीबों को खाना देना, अक्सर वायरल हो जाते हैं, जिससे लोग दान करने के लिए प्रेरित होते हैं. हालांकि, इसे गुमनाम दान नहीं माना जा सकता. फिर भी, ऐसे दान के कामों का पुण्य किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है.

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