Haldi Ceremony: आज भी शादियों के दौरान हल्दी लगाने की परंपरा निभाई जाती है. इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं. आइए जानें कि यह परंपरा क्यों निभाई जाती है.
हिंदू संस्कृति में हल्दी को बहुत जरूरी माना जाता है. यह सिर्फ एक मसाला नहीं है, बल्कि आयुर्वेदिक नजरिए से भी बहुत फायदेमंद मानी जाती है. हल्दी का इस्तेमाल सिर्फ शादियों में सुंदरता बढ़ाने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि इसे शादी की तैयारियों का शुभ संकेत भी माना जाता है. हल्दी लगाने से नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और मन शांत रहता है.
धार्मिक कारण
धार्मिक नजरिए से, हल्दी लगाने के बाद हल्दी की खुशबू हमारे शरीर के आस-पास पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तरह की एनर्जी को अपनी ओर खींचती है. हल्दी लगाने के बाद हमारा शरीर बहुत एनर्जेटिक हो जाता है.ऐसे में अगर हम हल्दी लगाने के बाद घर से बाहर निकलते हैं और किसी नेगेटिव या अशुभ एनर्जी के संपर्क में आते हैं, तो इसका शादी पर अशुभ असर पड़ सकता है.इसी वजह से, दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाने के बाद घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता, ताकि उनकी पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे और शादी में कोई रुकावट न आए.
ज्योतिष के अनुसार, हल्दी की खुशबू राहु और केतु जैसे ग्रहों से जुड़ी होती है. हल्दी की रस्म के बाद घर से बाहर निकलने से इन ग्रहों का असर बढ़ सकता है, जिससे मानसिक परेशानियां हो सकती हैं. इसी वजह से, दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाने के बाद घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है.
हल्दी लगाने का वैज्ञानिक कारण
शादी की रस्म में हल्दी लगाने का वैज्ञानिक कारण यह है कि हल्दी एक नेचुरल एंटीसेप्टिक है जो स्किन में गहराई तक जाती है. हल्दी लगाने के बाद स्किन बहुत सेंसिटिव हो जाती है. इस दौरान धूप में रहने से जलन या कालापन हो सकता है.इसी वजह से, पुराने समय में लोग कहते थे कि हल्दी लगाने के बाद बाहर जाने से बचना चाहिए, ताकि ग्लो और सुंदरता बनी रहे और किसी भी तरह की एलर्जी के खतरे से बचा जा सके.
हल्दी की रस्म का सामाजिक महत्व
हल्दी की रस्म के सामाजिक पहलू के अनुसार, दूल्हा-दुल्हन को इस रस्म के बाद घर पर रहने की सलाह दी जाती है ताकि वे अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ इस समय का आनंद ले सकें. यह पल शादीशुदा जोड़ों के लिए पारिवारिक बंधन और एकता का प्रतीक माना जाता है. इस रस्म के दौरान, परिवार के सभी सदस्य, रिश्तेदार और खासकर महिलाएं दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाती हैं और गानों का आनंद लेती हैं. इसीलिए इस हल्दी की रस्म को धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक दोनों ही नजरिए से खास माना जाता है.
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