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संजीवीनी बूटी को द्रोणगिरी पर्वत से लंका तक पहुचाने में हनुमान जी को लगे थे इतने घंटे, आज भी भक्तों की नजरों से दूर है ये राज?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : December 30, 2024, 5:46 pm IST
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संजीवीनी बूटी को द्रोणगिरी पर्वत से लंका तक पहुचाने में हनुमान जी को लगे थे इतने घंटे, आज भी भक्तों की नजरों से दूर है ये राज?

Lesser Known Facts About Hanuman Ji: संजीवीनी बूटी को द्रोणगिरी पर्वत से लंका तक पहुचाने में हनुमान जी को लगे थे इतने घंटे।

India News (इंडिया न्यूज), Lesser Known Facts About Hanuman Ji: आपने बहुत ही दिलचस्प तरीके से हनुमान जी के उड़ने की गति और उनके द्वारा संजीवनी बूटी लाने के दौरान उनकी यात्रा की गणना की है। इसे विस्तार से समझते हैं:

हनुमान जी की यात्रा का विवरण:

हनुमान जी ने द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाने के लिए जो यात्रा की थी, वह बेहद रोमांचक और अद्भुत है। अब इसे गणना करके और हनुमान जी की गति का अनुमान लगाया जा सकता है।

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  1. लक्ष्मण जी का मूर्छित होना:
    • रात 12 बजे के करीब मेघनाथ ने लक्ष्मण जी को बाण मारा, जिससे वे मूर्छित हो गए।
  2. सुषेण वैद्य द्वारा संजीवनी बूटी की मांग:
    • इसके बाद, सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी की मांग की, और हनुमान जी को यह जिम्मेदारी दी गई।
  3. हनुमान जी की यात्रा का समय:
    • हनुमान जी ने रात 1:00 बजे द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ान भरी। माना जाता है कि वे रात 1:30 बजे तक 5,000 किलोमीटर दूर हिमालय स्थित द्रोणागिरी पर्वत तक पहुंच गए थे।
    • हनुमान जी को औषधि खोजने में करीब आधे घंटे का समय लगा, और फिर उनके द्वारा कालनेमि राक्षस और भरत द्वारा किए गए विलंब के कारण यात्रा का कुल समय दो घंटे का था।
  4. दो घंटे में 5,000 किलोमीटर की यात्रा:
    • यह गणना करके देखा जा सकता है कि हनुमान जी ने 5,000 किलोमीटर की दूरी केवल 2 घंटे में तय की। यानी, उनकी उड़ान की गति 2,500 किलोमीटर प्रति घंटे रही होगी।

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हनुमान जी की उड़ान की गति:

  • 2,500 किलोमीटर प्रति घंटे की गति एक अत्यधिक तेज गति है। यदि हम इसे ध्रुवीय गति (Speed of light) से तुलना करें, तो यह लगभग ध्रुवीय गति का 2% है, जो कि किसी मानव के लिए संभव नहीं है। लेकिन पौराणिक कथाओं और हनुमान जी की दिव्य शक्तियों के संदर्भ में यह गति न केवल संभव मानी जाती है, बल्कि चमत्कारी भी मानी जाती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

  • आज के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो यह गति किसी अत्याधुनिक विमान की गति से भी कहीं अधिक होगी। उदाहरण के लिए, सोनिक बूम के साथ उड़ने वाले विमान की गति लगभग 1,500 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है, जबकि हनुमान जी की गति इससे दोगुनी थी। अत: यह एक दिव्य गति है, जिसे किसी साधारण जीव से तुलना नहीं की जा सकती।

हनुमान जी का द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाने का कार्य एक अद्भुत और चमत्कारी घटना है। हनुमान जी के बारे में यह विवरण इस बात का प्रमाण है कि वे अत्यधिक शक्तिशाली थे और उनके पास दिव्य शक्तियाँ थीं। उनके उड़ने की गति का अनुमानित 2,500 किलोमीटर प्रति घंटा हमें यह दिखाता है कि पौराणिक कथाएँ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनसे जुड़ी घटनाएँ हमारी कल्पना और विज्ञान की सीमाओं से परे होती हैं।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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