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India News (इंडिया न्यूज), Abhimanyu Singh Converted To Islam: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव है ‘रानी की सराय’, जिसका नामकरण एक दिलचस्प ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है। यह गांव आज भी अपनी ऐतिहासिक धरोहर और गहरी सांस्कृतिक धारा को अपने में समेटे हुए है। इस गांव का नाम, और इसके पीछे की कहानी आजमगढ़ के इतिहास से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना को प्रदर्शित करती है, जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक बदलावों का प्रतीक है, बल्कि उस समय की सामाजिक संरचना को भी उजागर करती है।
‘रानी की सराय’ नामक गांव की कहानी आजमगढ़ जिले के इतिहास में राजा अभिमन्यु सिंह और उनके परिवार से जुड़ी हुई है। राजा अभिमन्यु सिंह उस समय मेंहनगर तहसील के शासक थे, जो जहांगीर के शासनकाल में आजमगढ़ की रियासत के प्रमुख थे। राजा अभिमन्यु सिंह एक वीर योद्धा के रूप में प्रसिद्ध थे, और उन्होंने जौनपुर रियासत में विद्रोहों को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जहांगीर ने उन्हें अपनी निष्ठा और वीरता के लिए कई उपहार दिए, जिसमें 1500 घुड़सवार, 92 हजार रुपये और 22 बंदियों का मालिक बनने की पेशकश की। इसके बाद, राजा अभिमन्यु सिंह ने इस्लाम धर्म स्वीकार किया और अपना नाम बदलकर दौलत इब्राहीम खान रख लिया।
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राजा अभिमन्यु सिंह की पत्नी, ज्योति सिंह, इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद अपने पति के साथ समझौता नहीं कर पाई। उनका स्वाभिमान इस परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाया, और उन्होंने अपने बच्चों के साथ रियासत छोड़ दी। वह अपने नए जीवन की शुरुआत करने के लिए एक नए स्थान की तलाश में निकलीं। यह स्थान आज ‘रानी की सराय’ के नाम से जाना जाता है।
‘सराय’ का मतलब एक प्रकार के आश्रय स्थल या ठिकाने से है, और इस नाम का अर्थ भी यही था कि रानी ने यह स्थान अपना ठिकाना बनाया। रानी के इस कदम के बाद, उनके बेटे विक्रमजीत सिंह ने भी इस्लाम धर्म कबूल कर लिया और उनका नाम बदलकर विक्रम शाह रख लिया।
कुछ समय बाद, विक्रमजीत सिंह के दो बेटे हुए—आजम शाह और अजमत शाह। आजम शाह ने बाद में आजमगढ़ शहर की स्थापना की, जबकि अजमत शाह के नाम पर आजमगढ़ जिले में अजमतगढ़ नामक स्थान भी मौजूद है।
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आजम शाह ने आजमगढ़ शहर की नींव रखी और यह क्षेत्र धीरे-धीरे आबाद हो गया। आजमगढ़ का नाम आजम शाह के नाम से ही पड़ा। अजमत शाह के नाम पर अजमतगढ़ की स्थापना भी हुई, जो आज भी आजमगढ़ जिले का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
‘रानी की सराय’ गांव का नामकरण एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है, जो न केवल आजमगढ़ के इतिहास बल्कि भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को भी दर्शाता है। इस कहानी में एक रानी की संघर्ष और धैर्य की झलक मिलती है, जिसने अपने स्वाभिमान की खातिर अपने परिवार के साथ नया जीवन शुरू किया और उस जगह का नाम ‘रानी की सराय’ रखा, जो आज भी उसकी शौर्य और वीरता की गवाह है।
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इसके साथ ही, राजा अभिमन्यु सिंह और उनके परिवार की कहानी, जो धर्म परिवर्तन, राजनीतिक बदलाव और एक नई शुरुआत से जुड़ी है, आज भी इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में जीवित है।
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