India News (इंडिया न्यूज़), How Was The Mahabharata War Concluded: महाभारत युद्ध का 18वां दिन था। दुर्योधन की जांघें टूटने के साथ ही भीम की प्रतिज्ञा पूरी हो गई थी। कौरव सेना की ताकत भी बिखर गई थी। पांडव थके हुए थे, लेकिन अपनी जीत से संतुष्ट थे। पांडव अब कौरव शिविर में डेरा डाल चुके थे। सभी लोग यहां आराम करने के लिए रुके थे। भोजन के दौरान कृष्ण को चुप देखकर अर्जुन ने कहा, “मधुसूदन, आपने अभी तक बड़े भाई को उनकी जीत की बधाई नहीं दी है। क्या कुछ बाकी है?”
माधव ने कहा, “हां अर्जुन, 18वें दिन के अभी कुछ घंटे बाकी हैं।” भीम ने तुरंत कहा, “लेकिन शत्रुओं का नेता वहां तालाब के किनारे मुंह के बल लेटा हुआ है।” कृष्ण ने कहा, “हे गदाधारी, जब तक आप आश्वस्त न हों, विजय की घोषणा न करें। महाराज धृतराष्ट्र ने अभी तक सिंहासन खाली नहीं किया है।” अर्जुन ने पूछा, “तो क्या हमें रात के इस समय हस्तिनापुर जाना होगा?”
कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं पार्थ, तुम सब अब अपने शिविर में जाओ।” इस पर सात्यकि ने कहा, “वासुदेव, युद्ध में शिविर पर विजय भी महत्वपूर्ण है। यह पांडवों का अंतिम पड़ाव है। यदि पांडव बिना किसी निर्णय के यहां से लौट जाते हैं, तो यह भी उनके लिए एक कदम पीछे हटने जैसा होगा।” सत्यकि की बातें शास्त्र सम्मत थीं, जिस पर सभी ने एकमत होकर सहमति जताई। इसके बाद सभी सोने चले गए। जिसका परिणाम यह हुआ कि देर रात अश्वत्थामा पांडव शिविर में पहुंचा और उनके पुत्रों का वध कर दिया।
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