होम / धर्म / कैसा होता है हिंदुओ का नर्क और वहीं जहन्नुम में इतना बुरा होता है रूह का हश्र…जीते-जी न सही लेकिन यहां होती है ऐसी हालत कि?

कैसा होता है हिंदुओ का नर्क और वहीं जहन्नुम में इतना बुरा होता है रूह का हश्र…जीते-जी न सही लेकिन यहां होती है ऐसी हालत कि?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : January 9, 2025, 7:30 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

कैसा होता है हिंदुओ का नर्क और वहीं जहन्नुम में इतना बुरा होता है रूह का हश्र…जीते-जी न सही लेकिन यहां होती है ऐसी हालत कि?

Difference Between Nark aur Jahannum: एक दूसरे से कितना अलग होता है नर्क और जहन्नुम

India News (इंडिया न्यूज), Difference Between Nark aur Jahannum: मानव सभ्यता के अस्तित्व के साथ ही दो अवधारणाएं समानांतर रूप से चली आ रही हैं: पाप और पुण्य। इन दोनों विचारों को समझने और विस्तार से परिभाषित करने के लिए सनातन परंपरा में चार वेदों की रचना की गई। इसके बाद उपनिषद और 18 पुराणों ने इस विषय को और गहराई से समझाया। पाप और पुण्य की इस अवधारणा ने ही स्वर्ग और नर्क जैसे स्थानों की परिकल्पना को जन्म दिया।

पाप और पुण्य क्या हैं?

सनातन परंपरा में पाप और पुण्य का तात्पर्य मनुष्य के कर्मों के प्रभाव से है। पुण्य वह है, जो व्यक्ति को शुभ फल देता है और अंततः स्वर्ग की ओर ले जाता है। दूसरी ओर, पाप वह है, जो व्यक्ति के जीवन और आत्मा पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और नर्क का कारण बनता है।

गीता में श्रीकृष्ण आत्मा को अमर बताते हैं। वे कहते हैं कि आत्मा को अग्नि, जल, वायु या शस्त्र कोई हानि नहीं पहुंचा सकते। आत्मा सभी प्रकार के मोह और बंधनों से परे है। हालांकि, शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि धरती पर किए गए पापों का प्रभाव जीवात्मा पर पड़ता है और उसे नर्क भोगना पड़ता है।

बरसा था कुदरत का कहर, मौत के वक्त छटपटा रहे थे पैगंबर मोहम्मद, दर्दनाक मृत्यु के पीछे इस महिला का हाथ!

नर्क की अवधारणा

नर्क का उल्लेख वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में मिलता है। इसे पापियों को दंड देने का स्थान माना गया है। यहां दंड आत्मा को नहीं बल्कि जीवात्मा को मिलता है। यह धारणा इस आधार पर है कि जब आत्मा देह का त्याग करती है, तब उसकी पहचान कुछ समय के लिए उसी देह की बनी रहती है। इस अवस्था में जीवात्मा को यमदूत यमलोक ले जाते हैं।

यमलोक में चित्रगुप्त नामक सचिव सभी जीवात्माओं के पाप और पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। उनके पास एक विस्तृत पत्रिका होती है, जिसमें प्रत्येक जीवात्मा के कर्मों का ब्योरा दर्ज होता है। यह विवरण यमराज के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

क्या आपको भी 2025 में मिल रहे हैं लगातार ऐसे संकेत? तो कर लीजिये खुशियों के आगमन की तैयारी, जल्द होगा कुछ ऐसा कि?

दंड और फल का निर्धारण

पाप और पुण्य के आधार पर जीवात्मा के लिए दंड या फल निर्धारित किया जाता है। पुण्य के प्रभाव से आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिलता है, जबकि पाप के परिणामस्वरूप जीवात्मा को नर्क में दंड भोगना पड़ता है।

पाप और पुण्य की अवधारणा मानव समाज को नैतिकता और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह विचार न केवल व्यक्ति के जीवन को शुद्ध और अनुशासित बनाने में सहायक है, बल्कि उसे आत्मा और कर्म के गहरे रहस्यों को समझने का अवसर भी प्रदान करता है। पाप और पुण्य के सिद्धांत यह सिखाते हैं कि हमारे कर्मों का प्रभाव केवल इस जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी आत्मा के अगले पड़ाव को भी प्रभावित करता है।

Islamic Festival Calendar 2025: कब है इस साल ईद, मुहर्रम और रमजान? यहां देखें मुस्लिम त्योहारों की पूरी लिस्ट और जानें सब कुछ

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

Difference Between Nark aur JahannumNark & Jahannum

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT