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India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Katha: महाभारत में द्रोपदी ने पांच पांडवों से शादी रचाई थी। जिसमें से एक अर्जुन भी थे। लेकिन कहा जाता है कि अर्जुन की चार पत्नियों और भी थी। द्रोपदी के अलावा अर्जुन ने उलपी, चित्रांगदा और सुभद्रा से भी शादी रचाई थी। इन सभी से ही शादी करने के पीछे एक अलग-अलग कथा है।
द्रोपदी के विवाह से पहले द्रौपदी पांचाल देश की राजकुमारी थी। इसीलिए उन्हें पांचाली भी कहा जाता है। जिस समय पांडव भेश बदल कर रह रहे थे। तब द्रुपद ने अपनी पुत्री द्रोपदी के स्वयंवर का आयोजन किया। इस स्वयंवर में कई देशों के राजाओं ने हिस्सा लिया। स्वयंवर में इस चर्चा की गई थी कि जो भी व्यक्ति धनुष परिवार चलकर नीचे पानी में देखकर ऊपर घुम रही मछली की आंख पर निशान लगाएगा उसी के साथ द्रोपदी का विवाह कर दिया जाएगा। पांडव भी भगवान श्री कृष्ण के साथ स्वयंवर में भाग लेने पहुंचे। कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने एक तीर से मछली की आंख पर निशाना लगाया। इसके बाद द्रौपदी ने अर्जुन की गले में वरमाला डाल दी और इस प्रकार अर्जुन से द्रोपदी का विवाह हो गया।
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अर्जुन का सुभद्रा से खास लगाव था। सभी पत्तियों में से वह अर्जुन के लिए सबसे प्रिय थी। बता दे की सुभद्रा भगवान श्री कृष्ण की बहन थी। श्री कृष्ण के पिता वासुदेव ने दो विवाह रचाए थे। देवकी से और रोहिणी से। रोहिणी से वासुदेव को सुभद्रा का वरदान मिला था। सुमित्रा और अर्जुन के विवाह में भगवान श्री कृष्ण ने अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद अर्जुन और सुभद्रा को अभिमन्यु का वरदान मिला था।
इसके बाद अर्जुन की तीसरी पत्नी उलपी नागकन्या थी। अर्जुन ने द्रौपदी के बाद उलपी से विवाह किया था। एक बार द्रौपदी और युधिष्ठिर के साथ रहने के दौरान अर्जुन ने एक नियम तोड़ दिया था। जिसका कारण अर्जुन को 12 साल तक जंगल में रहना पड़ा था। इसी दौरान अर्जुन की मुलाकात नागकन्या उलपी से हुई थी। अर्जुन और उलपी की सुंदरता पर मंत्रमुग्घ हो गए और उलपी के साथ अर्जुन नागलोक आ गए जहां दोनों का विवाह हुआ। उलपी से अरावन नाम का पुत्र पैदा हुआ। इसके साथ ही बता दे की किन्नर रावण देवता की पूजा करते हैं।
कहा जाता है की अर्जुन का विवाह चित्रांगदा से भी हुआ था। कथा के अनुसार चित्रांगदा का सीधा संबंध मणिपुर से है। चित्रांगदा मणिपुर के राजा चित्र वहां की पुत्री है चित्रांगदा को देखकर अर्जुन को पहली नजर का प्रेम हो गया था अर्जुन चित्रांगदा के पिता के चित्रवाहन को शादी का प्रस्ताव भेजा और राजा इस विवाह प्रस्ताव से सहमत हो गए। लेकिन उन्होंने शर्त रखी की उनके पुत्र को मणिपुर में ही रहना होगा। इस शर्त को अर्जुन ने मान लिया जिस वजह से चित्रवाहन और उनके पुत्र प्रवाहन बभ्रुवाहन वहीं रहे।
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महाभारत की कथा के मुताबिक सबसे अधिक वीरता अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु में देखी गई थी। क्योंकि पूरे युद्ध में सबसे छोटा बालक होते हुए भी उसने अपनी वीरता का परिचय अकेले देते हुए ही छ: महारथियों के साथ युद्ध किया था। इसके साथ ही चक्रव्यूह तोड़ने का प्रयास किया तथा अस्त्र समाप्त होने के बाद भी रथ के पहिए को अस्त्र बना कर लड़ता रहा।
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