इंडिया न्यूज़, दिल्ली : रामचरित मानस पर सुलगा विवाद शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है। पवित्र ग्रंथ रामचरित मानस पर मचा विवाद तब ना शांत होता जब इसे वोट बैंक का माध्यम नहीं माना जाता। तुस्टीकरण और वोट बैंक की राजनीती का जरिया बनाने के लिए आए दिन कोई भी उठकर आता है और इस आग में घी डालकर चला जाता है। रामचरित मानस विवाद में इसबार आग में घी डालने का काम किया है बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने जिन्होंने रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों पर आपत्ति जाहिर किया है। रामचरित मानस को लेकर बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के प्रमुख घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक मांझी ने कहा कि, रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर मुझे भी आपत्ति है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि, रामचरितमानस में कई अच्छी बातें भी हैं। उन्होंने कहा कि मैं रामचरितमानस को मानता हूं, मेरे लिए भी ये पूज्य महाकाव्य है लेकिन इसकी कुछ पंक्तियों पर मुझे आपत्ति है।
पूर्व बिहार सीएम जीतन राम मांझी ने राम चरित मानस की कुछ पंक्तियों पर एतराज जताते हुए कहा कि रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। रामायण की रचना के बावजूद भी महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर शोभा यात्रा नहीं निकाली जाती है। रामचरित मानस विवाद में कूदते हुए जीतनराम मांझी ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि ‘ राम चरित मानस में महिलाओं का अपमान किया गया है। रामचरित मानस में संशोधन की जरुरत है। बता दें, मांझी ने रामचरित मानस में महिलाओं के अपमान पर एक पंक्तियों को उद्घृत करते हुए कहा।
बता दें, रामचरित मानस पर सवाल उठाने वाले जीतन राम मांझी ने बीते साल राम को काल्पनिक कैरेक्टर बताया था। बीते साल मांझी ने ब्राह्मणों का भी अपमान किया था। मालूम हो, रामचरित मानस पर आग बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने लगाई थी। चंद्रशेखर ने पवित्र ग्रंथ रामचरित मानस को नफरती ग्रन्थ बताया था। फिर ये मुद्दा बिहार ये यूपी पहुंचा जहां स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस के पंक्तियों पर सवाल उठाया था।
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