India News (इंडिया न्यूज़), End Of Mahabharat Yudh: महाभारत, भारतीय महाकाव्य, केवल एक युद्ध की गाथा नहीं है, बल्कि यह धर्म, नीति, और जीवन के गहन तत्वों का प्रतिबिंब है। इस युद्ध की विशालता और महत्ता को समझते हुए, यह जानना रोचक होता है कि इसके साक्षी कौन-कौन लोग थे। यहां हम बात करेंगे उन चार व्यक्तियों की जिन्होंने महाभारत के युद्ध को अंत तक प्रत्यक्ष रूप से देखा और इसका सजीव अनुभव किया।
महाभारत युद्ध के दौरान भगवान हनुमान ने अर्जुन और भगवान कृष्ण के रथ पर सूक्ष्म रूप में बैठकर युद्ध देखा। उनकी उपस्थिति का उद्देश्य केवल अर्जुन की सहायता करना नहीं था, बल्कि वह भी इस युद्ध के गवाह बने। हनुमान की दिव्य दृष्टि और शक्ति के कारण, उन्होंने इस भीषण युद्ध की हर एक घटना को अंत तक देखा और समझा।
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बर्बरीक, भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र, इतने शक्तिशाली थे कि वे महाभारत को केवल तीन बाणों से जीतने की क्षमता रखते थे। हालांकि, भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया और बर्बरीक ने स्वेच्छा से अपना शीश भगवान कृष्ण को दे दिया। फिर भी, बर्बरीक की इच्छा थी कि वह युद्ध को देखे। कृष्ण ने उनकी यह इच्छा पूरी करने के लिए उनके सिर को कुरुक्षेत्र में एक पेड़ पर टांग दिया, जिससे बर्बरीक ने युद्ध को पूरा देखा और उसकी हर घटना को अनुभव किया।
संजय को दिव्य दृष्टि प्राप्त थी, जो उन्हें महल में बैठकर भी युद्ध के मैदान की घटनाओं को सजीव रूप में देखने की शक्ति देती थी। संजय ने धृतराष्ट्र को युद्ध का पूरा दृश्य सुनाया और उन्हें युद्ध की प्रत्येक महत्वपूर्ण घटना की जानकारी दी। उनकी दिव्य दृष्टि ने युद्ध के घटनाक्रम को एक विशेष दृष्टिकोण प्रदान किया।
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भगवान शंकर ने कैलाश पर्वत पर अपनी स्थिति से इस युद्ध का प्रत्यक्ष अनुभव किया। उनकी दिव्य दृष्टि और असीमित शक्ति के कारण, उन्होंने महाभारत के युद्ध को अपने ध्यान और भव्यता से देखा। यह दर्शाता है कि इस युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाओं को केवल मनुष्यों द्वारा ही नहीं, बल्कि देवताओं द्वारा भी देखा गया।
इन चार व्यक्तियों की उपस्थिति और दृष्टि ने महाभारत के युद्ध को एक अद्वितीय और समग्र दृष्टिकोण प्रदान किया। भगवान कृष्ण के अलावा, ये चार लोग युद्ध के हर पहलू और उसकी गहराई को समझने में सक्षम थे। यह महाभारत की महानता को दर्शाता है और यह भी सिद्ध करता है कि युद्ध केवल एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह जीवन के कई गहन तत्वों की खोज भी थी।
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