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इस्लाम में क्यों करवाया जाता है मर्दों का खतना? आखिर क्यों पुरुषों को मिली ये खतरानाक सजा?

BY: Babli • LAST UPDATED : September 10, 2024, 11:03 am IST
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इस्लाम में क्यों करवाया जाता है मर्दों का खतना? आखिर क्यों पुरुषों को मिली ये खतरानाक सजा?

Islam khatna Ritual

India News (इंडिया न्यूज़), Kishwer Merchanta: आज हम एक जरुरी और अक्सर विवादित विषय पर बात करेंगे, जिसके बारे में समाज में कई चीजें फैली हुई हैं। यह विषय है “खतना”, जिसे कुछ लोग सजा के तौर पर देखते हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक परंपरा का हिस्सा मानते हैं। इस चर्चा के केंद्र में इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म में खतने का महत्व और इसकी शुरुआत है।

  • क्यों होता है मुस्लिम मर्दों का खतना
  • किसने की थी खतने की शुरुआत
  • धार्मिक कर्तव्य माना जाता है खतना

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क्यों होता है मुस्लिम मर्दों का खतना

अक्सर गैर-मुस्लिम समुदायों यह दावा करते हैं की खतना मुस्लिम लड़कों के लिए एक तरह की सजा है। इस दावे को लेकर दुनिया भर में कई मान्यताएं और गलतफहमियां फैली हुई हैं। कुछ मुसलमानों का मानना ​​है कि खतना एक धार्मिक रस्म है, जिसका संबंध हज़रत इब्राहिम अलैहि सलाम से है। उन्हें यह आदेश धार्मिक परीक्षण के तौर पर मिला था और यह रस्म आज भी इस्लाम में जारी है। यहूदियों और ईसाइयों की पवित्र किताबों में भी हज़रत इब्राहिम का ज़िक्र है, लेकिन इन धार्मिक ग्रंथों में कुछ तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

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किसने की थी खतने की शुरुआत

ऐसा माना जाता है कि इस्लाम में खतने की शुरुआत पैगंबर इब्राहिम (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) से हुई थी। सहीह मुस्लिम और बुखारी की हदीसों में बताया गया है कि पैगंबर इब्राहिम ने अल्लाह के आदेश पर 80 साल की उम्र में अपना खतना करवाया था। फिर यह परंपरा उनके बेटे इस्माइल पर लागू हुई, जब उनका 13 साल की उम्र में खतना किया गया। इस्लामी इतिहास में खतना को सजा या यातना के रूप में नहीं बल्कि धार्मिक कर्तव्य के रूप में किया जाता रहा है।

हालांकि, कुछ यहूदी और ईसाई धार्मिक कहानियों का दावा है कि पैगंबर इब्राहिम का खतना उनकी पत्नी ने सजा के रूप में किया था। यह कहानी महज अफवाह और गलतफहमी पर आधारित है। इस घटना का इस्लामी मान्यताओं में कोई ठोस आधार नहीं है।

धार्मिक कर्तव्य माना जाता है खतना

इस्लाम में खतना को एक धार्मिक कर्तव्य माना जाता है और यह परंपरा आज भी जारी है। मुसलमान खतना को अल्लाह के आदेश की पूर्ति के रूप में देखते हैं। इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार अल्लाह तआला का हर आदेश मानव कल्याण के लिए है, चाहे व्यक्ति को इसकी पूरी जानकारी हो या न हो। खतना भी इसी आदेश का एक हिस्सा है, जो शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है।

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