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India News (इंडिया न्यूज),Ramadan 2024: इजराइल के प्रधान मंत्री कार्यालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि रमजान के इस्लामी पवित्र महीने के दौरान अल-अक्सा मस्जिद में प्रवेश सीमित होगा। जिसके बाद इजराइल की आंतरिक सुरक्षा एजेंसी ‘शिन बैट’ ने आशंका जताई थी कि इस फैसले से येरुशलम में हालात खराब हो सकते हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, इजराइल ने अभी भी इस फैसले पर अंतिम फैसला नहीं लिया है। इज़रायली सरकार के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि रमज़ान के दौरान अल-अक्सा पर प्रतिबंध पर अभी भी चर्चा चल रही है।
अल-अक्सा कंपाउंड को इस्लाम, ईसाई और यहूदी तीनों धर्मों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें अल-अक्सा मस्जिद है, जिसे इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, साथ ही ईसाई धर्म का सबसे पुराना चर्च भी है। यहूदी धर्म की पश्चिमी दीवार भी यहीं है। इस परिसर का कोई भी निर्णय फ़िलिस्तीन और इज़राइल के राजनीतिक मुद्दों को बढ़ावा देता है।
इज़राइली मीडिया ने बुधवार को बताया कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बेन-ग्विर को हटा देंगे। आपको बता दें कि आंतरिक सुरक्षा मंत्री बेन-गविर के दबाव में पीएम कार्यालय ने बयान जारी कर अल-अक्सा पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार के प्रवक्ता एवी हाइमन ने गुरुवार को कहा, “अल-अक्सा के टेंपल माउंट पर प्रार्थना के मुद्दे पर अभी भी कैबिनेट में चर्चा चल रही है।” उन्होंने कहा कि कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ-साथ पूजा की स्वतंत्रता को भी ध्यान में रखा जाएगा। हालाँकि, बेन-ग्विर ने नेतन्याहू से 12 टीवी रिपोर्टों को अस्वीकार करने का आग्रह किया और ट्विटर पर लिखा, “उनके अधिकार को नष्ट करने का कोई भी प्रयास “आतंकवाद के सामने आत्मसमर्पण” के समान होगा।
אתמול כניעה של קבינט הקונספציה בעניין הר הבית – היום פיגוע
הבוקר פינוי יהודים בבנימין – עכשיו פיגוע
הקבינט המצומצם, צאו מהקונספציה!
— איתמר בן גביר (@itamarbengvir) February 29, 2024
इस्लाम का पवित्र महीना 10 या 11 मार्च से शुरू हो रहा है। इस महीने में दुनिया भर के मुसलमान 30 दिनों तक रोजा रखते हैं। पिछले कई सालों से रमज़ान के दौरान अल-अक्सा कंपाउंड में हिंसा देखी जाती रही है। जानकारों का मानना है कि गाजा युद्ध के चलते अल-अक्सा को लेकर इजरायली सरकार का कोई भी फैसला खतरनाक साबित हो सकता है। हमास भी रमज़ान की तैयारी कर रहा है। हमास ने लोगों से पहले रोज़े के दौरान अल अक्सा मस्जिद की ओर मार्च करने की अपील की है।
ऐसे में जहां एक तरफ इजराइल को मानवाधिकार के मुद्दे पर पूरी दुनिया की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ मुसलमानों की आस्था के इतने बड़े केंद्र में खासकर रमजान के मौके पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं। इजराइल के लिए एक कठिन फैसला माना जा रहा है।
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