Kalpvas 2026: प्रयागराज में हर साल माघ महीने में एक अलौकिक आध्यात्मिक शहर में बदल जाता है. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम के पवित्र तट पर बिताए गए महीने को ‘कल्पवास’ कहा जाता है. यह महीना सिर्फ़ एक परंपरा नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धि के लिए एक कठोर तपस्या है. 2026 में माघ मेला और कल्पवास का विशेष महत्व है.
मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति माघ महीने में संगम के किनारे रहता है और बताए गए नियमों का पालन करता है, उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. कल्पवास का शाब्दिक अर्थ है एक निश्चित अवधि (कल्प) के लिए पवित्र स्थान पर रहना. यह समय ईश्वर के करीब महसूस करने के लिए होता है.परंपरागत रूप से, कल्पवास पौष महीने की पूर्णिमा के दिन संकल्प लेने के साथ शुरू होता है. हालांकि, भक्त अपनी क्षमता के अनुसार कल्पवास करते हैं. कोई 5, 11 या 21 दिनों के लिए भी संकल्प ले सकता है.
2026 प्रयागराज कल्पवास और माघ मेले से संबंधित जानकारी
- 2026 में माघ मेला 3 जनवरी को शुरू होगा. हालांकि, मुख्य कल्पवास का संकल्प पौष पूर्णिमा को लिया जाता है और माघी पूर्णिमा को पवित्र स्नान के साथ समाप्त होता है.
- कल्पवासियों के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण नियमों में से एक है कड़ाके की ठंड में दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) संगम में डुबकी लगाना. इसे शरीर और मन की शुद्धि का मार्ग माना जाता है.
- कल्पवास के दौरान, भक्त दिन में केवल एक हल्का या सात्विक भोजन करते हैं. यह भोजन अक्सर वे खुद मिट्टी के चूल्हे पर बनाते हैं. ज़मीन पर सोना: विलासिता को छोड़कर, कल्पवासी नरम बिस्तरों के बजाय जमीन पर बिछी पतली चटाई पर सोते हैं. इसे ‘भूमि शयन’ (जमीन पर सोना) कहा जाता है, जो अहंकार को छोड़ने का प्रतीक है.
- इस दौरान, कल्पवासियों को मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना होता है. दूसरों की आलोचना करना, झूठ बोलना, गुस्सा करना और अपशब्दों का इस्तेमाल करना सख्त मना है.
- कल्पवास का पूरा दिन भगवान की भक्ति, दान-पुण्य और संतों और ऋषियों के प्रवचन सुनने में बीतता है. संगम पर गूंजते शंख और घंटियों की आवाज़ एक दिव्य वातावरण बनाती है.
कल्पवास के दौरान क्या न करें
- माघ मेले के दौरान, मांस, शराब और प्याज-लहसुन जैसे तामसिक भोजन का सेवन सख्त मना है. इसके अलावा, ब्रह्मचर्य का पालन करना और सांसारिक सुखों से दूर रहना अनिवार्य है.
- गरुड़ पुराण और अन्य शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति संगम पर कल्पवास करता है, वह कई जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है और सीधे स्वर्ग में प्रवेश पाता है.