संबंधित खबरें
नए साल की पहली सुबह बिना किसी को बताए किये गए ये 5 काम देते है आपको पूरे साल का धन लाभ, बस आना चाहिए सही तरीका?
नए साल के पहले ही दिन अपने घर के मंदिर में जरूर लाकर रख दें ये 3 चीज, कभी घर को नहीं छोड़ पाएंगी मां लक्ष्मी
आज है साल का आखिरी शनिवार, बन रहा है बेहद पावन संयोग, ये काम किया तो 2025 में पलट जाएगी किस्मत
सिख धर्म में इस तरह से होता है अंतिम संस्कार, पार्थिव शरीर के साथ रखे जाते हैं पांच ककार
भर जाएगा कुबेर खजाना, धन-संपत्ति का लगेगा ढेर, नीम करोली बाबा के बताए वो 5 संकेत जो भाग्य का लिखा भी देंगे पलट!
2025 की शुरूआत में कर लिया जो ये चमत्कारी उपाय, मां लक्ष्मी कभी नही छोड़ेंगी द्वार, पैसों से भर जाएगा कुबेर खजाना!
India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Story: महाभारत के पात्रों में कर्ण जितना दानी कोई नहीं था। कर्ण सूर्य देव के पुत्र थे, जिन्हें कुंती ने दुर्वासा ऋषि द्वारा दिए गए मंत्र से विवाह से पहले प्राप्त किया था। कर्ण को सूर्य देव से दिव्य कवच और कुंडल मिले थे, जिससे कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था। कर्ण जितने पराक्रमी धनुर्धर थे, उससे कहीं बड़े दानवीर भी थे। उनके बारे में कहा जाता है कि उनके द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था,
जो भी उनसे कुछ मांगता था, उसे मिल जाता था, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। महाभारत के युद्ध से पहले इंद्र देव को चिंता थी कि अगर उनके पुत्र अर्जुन ने कर्ण से युद्ध किया, तो कर्ण उन पर हावी हो सकते हैं।
एक दिन कर्ण स्नान करके सूर्य देव की पूजा कर रहे थे, पूजा समाप्त होते ही इंद्र देव ब्राह्मण का रूप धारण करके आए और उनसे कवच और कुंडल का दान मांगा। कर्ण ने बिना सोचे-समझे वह दिव्य कवच और कुंडल इंद्र देव को दान कर दिए। अगर भगवान इंद्र ने धोखा नहीं दिया होता, तो महाभारत के युद्ध में कर्ण के पास वह कवच और कुंडल होते और उन्हें हराना और भी मुश्किल हो जाता।
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, जब इंद्र देव को कर्ण के कवच और कुंडल दान में मिले थे, तो वे उन्हें स्वर्ग नहीं ले गए थे। अगर वे कर्ण के कवच और कुंडल अपने साथ नहीं ले गए थे, तो वे कहां हैं? कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर गांव में एक गुफा है, जिसमें अंदर या बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है। उस गुफा के अंदर से लगातार एक रोशनी निकलती रहती है।
अब चूंकि उस गुफा में प्रवेश करने या बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है, इसलिए सूर्य की रोशनी भी उसके अंदर नहीं पहुंच सकती। लेकिन उस गुफा के अंदर से रोशनी निकलती रहती है। ऐसा माना जाता है कि जब इंद्र देव कर्ण के कवच और कुंडल ले जा रहे थे, तो सूर्य देव उनसे बहुत नाराज हुए और उन्हें श्राप दे दिया। श्राप के कारण इंद्र के रथ का पहिया इसी स्थान पर फंस गया।
तब उस स्थान पर एक गुफा बनाई गई और उसमें कर्ण के कवच और कुंडल छिपा दिए गए। वह कवच और कुंडल इतने शक्तिशाली थे कि इंद्र भी उसे अपने साथ स्वर्ग नहीं ले जा सके। माना जाता है कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर की इस गुफा में आज भी कर्ण के कवच और कुंडल रखे हुए हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि उस गुफा के पास इंद्र के रथ के पहिए के निशान भी मौजूद हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, कर्ण के कवच और कुंडल पुरी के कोणार्क में रखे हुए हैं। कहा जाता है कि इंद्र देव ने इसे छल से हासिल कर लिया था, जिसके कारण वे इसे स्वर्ग नहीं ले जा सके। तब उन्होंने इसे समुद्र किनारे छिपा दिया। उन्हें ऐसा करते हुए चंद्र देव ने देख लिया। जब चंद्र देव कर्ण के कवच और कुंडल ले जाने लगे तो समुद्र देव ने उन्हें रोक दिया। लोक मान्यताओं के अनुसार, तब से सूर्यदेव और समुद्रदेव कवच और कुंडल की रक्षा करते आ रहे हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.