Karwa Chauth Wearing Red Dress: करवा चौथ का व्रत भारतीय परंपरा में वैवाहिक प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और दांपत्य सुख की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार करने, मेहंदी रचाने और पारंपरिक लाल परिधान पहनने की परंपरा सदियों पुरानी है. लाल रंग को इस व्रत का अभिन्न हिस्सा माना गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर लाल रंग पहनना इतना शुभ क्यों माना जाता है? इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा संबंधी कई रहस्य छिपे हैं.
धार्मिक दृष्टि से लाल रंग का महत्व
हिंदू धर्म में लाल रंग को शक्ति, सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक माना गया है. यह रंग देवी पार्वती का प्रिय रंग है, जिन्हें सुहाग की देवी कहा जाता है. करवा चौथ पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनसे अपने पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. मान्यता है कि लाल वस्त्र धारण करने से मां पार्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद देती हैं. यही कारण है कि इस दिन लाल साड़ी या लाल जोड़ा पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है.
वैवाहिक जीवन में लाल रंग का संकेत
भारतीय संस्कृति में लाल रंग विवाह और सुहाग का प्रतीक है. दुल्हन को विवाह के दिन लाल जोड़ा पहनाया जाता है, जो प्रेम, समर्पण और नई शुरुआत का प्रतीक है. करवा चौथ का व्रत भी वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस दिन लाल रंग पहनना पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और आत्मीयता को और अधिक गहरा करता है.
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वैज्ञानिक दृष्टि से
लाल रंग को ऊर्जा और आत्मविश्वास का रंग कहा जाता है. यह मनुष्य के भीतर सकारात्मकता और जोश भरता है. करवा चौथ का व्रत दिनभर बिना जल और अन्न के रखा जाता है, ऐसे में लाल रंग पहनने से मानसिक शक्ति और उत्साह बना रहता है. इस रंग की तरंगें शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं, जिससे व्यक्ति पूरे दिन प्रसन्न और सशक्त महसूस करता है.