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करवाचौथ पर हिंदू ही नहीं, इस दिन मुसलमान और ईसाई भी करते हैं चांद की पूजा, जानें इतिहास और महत्व

karwa Chauth Ka Chand: चांद देखना और चांद की पूजा करना सिर्फ़ हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस्लाम से लेकर ईसाई धर्म तक चांद की अलग ही मान्यता है, तो आइए जानें कि विभिन्न धर्मों और त्योहारों में चांद को कैसे पूजा जाता है.

Written By: Heena Khan
Last Updated: 2025-10-07 11:28:02

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतजार हर भारतीय महिला बेसब्री से करती है. खास बात ये है कि ये त्यौहार भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद ही व्रत तोड़ती हैं। वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चांद देखना और चांद की पूजा करना सिर्फ़ हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस्लाम से लेकर ईसाई धर्म तक चांद की अलग ही मान्यता है, चांद अन्य धर्मों में भी आस्था का प्रतीक है। तो आइए जानें कि विभिन्न धर्मों और त्योहारों में चांद को कैसे पूजा जाता है.

इस्लाम में चांद की मान्यता 

इस्लामिक कैलेंडर पूरी तरह से चांद पर आधारित है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा जैसे कई बड़े त्योहार चांद के दिखने पर निर्भर करते हैं। इस दिन हर मुसलमान चांद का शिद्द्त से इंतजार करता है. मुसलमान शव्वाल के नए चांद के दिखने का इंतजार करते हैं क्योंकि यह ईद-उल-फितर का दिन होता है, जिस दिन रमजान के महीने का उपवास समाप्त होता है। ईद-उल-अज़हा का समय भी चांद से तय होता है। चाँद का दिखना हज यात्रा के पूरा होने का प्रतीक है।

ईसाई भी करते हैं चांद की पूजा 

ईसाई धर्म में, ईस्टर का त्यौहार सीधे चंद्र कैलेंडर से जुड़ा हुआ है। ईस्टर वसंत विषुव के बाद पूर्णिमा के बाद पहले रविवार को मनाया जाता है। इसके अलावा, बिहार के मिथिला क्षेत्र और नेपाल के कुछ हिस्सों में, चौरचन के दौरान चंद्रमा को पवित्रता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली के लिए चंद्रमा की पूजा करती हैं।

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