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Kedarnath Temple: केदारनाथ मंदिर से जुड़े ये रहस्य कर देंगे आपको हैरान !

Shalu Mishra • LAST UPDATED : April 3, 2024, 10:13 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Kedarnath Temple: हिंदू धर्म के तीर्थ स्थलों में से एक है केदारनाथ, भगवान शिव का मंदिर, जहां भक्तों की हमेशा भीड़ उमड़ती है भैरो बाबा के दर्शन पाने के लिए। आज हम आपके लिए इसी मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य लेकर आए हैं जो आपको यकीनन हैरान कर देंगे, चलिए जानते हैं केदारनाथ से जुड़े कुछ रहस्य..

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400 साल बर्फ में दबा रहा केदारनाथ

ये कोई पौराणिक कथा नहीं बल्कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के द्वारा रिसर्च किया हुआ एक फैक्ट है। इस इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार केदारनाथ मंदिर 13-14 वीं सदी के बीच जो छोटा हिमयुग आया था उसमें पूरी तरह से बर्फ में दबा रहा था। जिसके बावजूद इस मंदिर पर कोई आंच नहीं आई, क्योंकि इसकी रक्षा के लिए महादेव हमेशा मौजूद रहे हैं।

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शिवलिंग का निर्माण

पौराणिक कथाओं के अनुसार केदारनाथ की कथा महाभारत के युग से शुरू होती है। जब पांडव कुरुक्षेत्र की लड़ाई में किए गए पापों का प्रायश्चित करने भगवान शिव को ढूंढने निकले थे तब शिव उनसे छुप गए थे। शिव ने अपना रूप बदल कर एक बैल का रूप धारण कर लिया था और उत्तराखंड में छुप गए थे। जहां वो छुपे थे उस जगह को गुप्तकाशी कहा जाता है। पांडव काशी (वाराणसी) से होते हुए उत्तराखंड पहुंचे थे और वहां किसी तरह भीम ने भगवान शिव को खोज निकाला था।

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भगवान शिव जो बैल बने हुए थे वो जमीन के अंदरूनी भाग में छिप गए, लेकिन उनकी पूंछ और उनका कूबड़ दिख रहा था। भीम जो पांडवों में सबसे बलशाली थे उन्होंने पूंछ से पकड़ कर बैल को निकालने की कोशिश की, इसी द्वंद में उसका सिर जाकर नेपाल के डोलेश्वर महादेव में जाकर गिरा और उस बैल का कूबड़ एक शिवलिंग के तौर पर स्थापित हो गया। इसी कड़ी में पहाड़ के दो हिस्से भी हो गए जिन्हें अब नर और नारायण के नाम से जाना जाता है और यही कारण माना जाता है कि केदारनाथ का शिवलिंग तिकोने आकार में है। वो आम शिवलिंग की तरह नहीं दिखता, बाकी सभी शिवलिंग से भिन्न दिखता है।

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केदारनाथ नाम के पीछे का रहस्य 

दरअसल, इसकी कहानी भी भगवान शिव के रूप से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार असुरों से बचने के लिए देवताओं ने भोलेनाथ से खूब प्रार्थना की थी। इसी कारण भगवान शिव बैल के रूप में अवतारित हुए। इस बैल का नाम था ‘कोडारम’ जो असुरों का विनाश करने की ताकत रखता था। इसी बैल के सींग और खुरों से असुरों का सर्वनाश महादेव के अवतारित रूप द्वारा हुआ था जिन्हें भगवान शिव ने मंदाकिनी नदी में फेंक दिया था। केदारनाथ नाम कोडारम नाम से ही लिया गया है।

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