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Karwa Chauth Vrat Puja: जानिए कैसे, करवा चौथ व्रत की तैयारी और पूजा करें, इस तरह से निभाएं ये रस्में

BY: Divyanshi Bhadauria • LAST UPDATED : October 7, 2022, 3:58 pm IST
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Karwa Chauth Vrat Puja: जानिए कैसे, करवा चौथ व्रत की तैयारी और पूजा करें, इस तरह से निभाएं ये रस्में

Know how to prepare and worship Karva Chauth fast.

(इंडिया न्यूज़, Know how to prepare and worship Karva Chauth fast): हिन्दू धर्म में करवा चौथ व्रत का खास महत्व है। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है। इस व्रत में रात को चाँद देखकर ही कुछ खाया जाता है। शारद पूर्णिमा के बाद से ही करवा चौथ आ जाता है। इस साल 13 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा।

आइए जानते हैं व्रत कैसे रखे और किस तरह से पूजा करें

व्रत से पहले कैसे करें पूजा और तैयारी

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें
  • स्नान करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई कर ज्योत जलाएं
  • देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करें
  • निर्जला व्रत का संकल्प लें
  • इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है
  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें,किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है
  • माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें
  • करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है
  • चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें
  • इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है

व्रत और पूजा का सही समय 

करवा चौथ पर अमृत काल शाम 04 बजकर 08 मिनट से शाम 05 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।

कैसे रखें व्रत

करवा चौथ में सूर्योदय से पहले ही सास की दी हुई सरगी खाकर दिन की शुरुआत करते हैं. दोपहर 4 बजे से 5 बजे के मध्य अपनी सास-जेठानी अथवा किसी अन्य पूज्य महिला से कहानी सुन सकती हैं. कथा सुनते समय एक पटरे या चौकी पर जल से भरा लोटा और थाली में रोली,गेहूं,चावल से भरा हुआ मिट्टी का करवा ढक्कन सहित रख लें. साथ ही बायने के लिए तेरह करवे रोली से स्वास्तिक लगाकर भी रख लें. कहानी सुनने के पश्चात सबसे पहले एक करवे पर हाथ फेर कर वह करवा अपनी सास का आशीर्वाद लेकर उन्हें दे दें. इसके बाद रोली स्वास्तिक लगे हुए खांड के तेरह करवे सुहागिन महिलाओं को बायने में देने चाहिए और सुहागिनों से ही लेने चाहिए. इसके बाद लोटे का जल और तेरह दाने गेहूं के चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए अलग रख लें. रात्रि को जब चंद्रमा निकल आए, तब चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन करें.

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