Amavasya Of Bhadrapada On 26 And 27 August
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जानें 26 और 27 की भाद्रपद अमावस्या पर क्या है स्नान दान का महत्व ?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : August 25, 2022, 3:54 pm IST
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जानें 26 और 27 की भाद्रपद अमावस्या पर क्या है स्नान दान का महत्व ?

Bhadrapada Amavasya 2022

इंडिया न्यूज ( Bhadrapada Amavasya 2022)
पंचांग मुताबिक हर माह कृष्णपक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। भाद्रपद मास की अमावस्या जिसे पिठोरी, कुशोत्पाटिनी अमावस्या आदि के नाम से जाना जाता है। यह तिथि पितरों के निमित्त किए जाने वाली पूजा, तर्पण आदि से लेकर स्नान-दान आदि के लिए फलदायी मानी गई है। भाद्रपद अमावस्या इस बार 26 और 27 अगस्त को पड़ रही है। शनिवार उदया तिथि के दिन अमावस्या पड़ने से इसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। चलिए जानेंगे शनिश्चरी अमावस्या का क्या है महत्व।

27 को शनैश्चरी अमावस्या

आपको बता दें अगस्त भाद्रपद अमावस्या 26 अगस्त 2022 को दोपहर 12:23 बजे से प्रारंभ होकर 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:46 बजे तक रहेगी। चूंकि सनातन परंंपरा उदया तिथि को ही किसी तीज या त्योहार का आधार माना जाता है। ऐसे में 27 अगस्त 2022 को भाद्रपद अमावस्या मानते हुए पूजा की जाएगी। क्योंकि ये साल की आखिरी शनैश्चरी अमावस्या रहेगी। इस दिन किए गए तीर्थ स्नान और दान का कई गुना ज्यादा पुण्य फल मिलता है।

पितृ पूजा के दो दिन

शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन कुतप काल यानी दिन के आठवें मुहूर्त में अमावस्या तिथि रहेगी। मध्याह्न व्यापिनी होने के कारण इस मुहूर्त में पितृ पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए दोनों दिन पितृ पूजा के लिए खास रहेंगे। दोनों दिन पितृ पूजा का शुभ समय यानी कुतप काल 11.36 से 12.24 तक रहेगा।

इन चीजों का करें दान?

शनिवार को सूर्योदय के वक्त भाद्रपद माह की अमावस्या रहेगी। इसलिए तीर्थ स्नान और दान के लिए ये दिन खास रहेगा। इस संयोग में किए गए शुभ काम से मिलने वाला पुण्य फल और बढ़ जाता है। इस दिन अन्न और कपड़ों का दान करने का बहुत महत्व है। गुड़, घी, चावल, तिल, नमक, छाता और जूते-चप्पल का भी दान कर सकते हैं।

शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए क्या करें?

  • ज्योतिष ग्रंथों अनुसार सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार को अमावस्या हो तो ये देश के लिए शुभ होती है। इस योग से अन्य अशुभ ग्रहों के असर में कमी आती है। वहीं शनिवार को पड़ने वाली इस तिथि में स्नान-दान से दोष और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
  • शुक्रवार और शनिवार को देवताओं पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए। इससे शनि के अशुभ प्रभाव से राहत मिलती है और पितृ दोष कम होता है। इन दोनों दिनों में शाम को शिवलिंग के पास तिल के तेल का दीपक लगाना चाहिए और शनिवार को शनिदेव की मूर्ति पर तिल का तेल चढ़ाना चाहिए। अमावस्या पर गौशाला में घास, अनाज या पैसों का दान करने का विधान बताया गया है।

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