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Latest Essay on Bal Diwas in Hindi 2021: Children’s day is celebrated on 14th November every year. 14th November is celebrated as Children’s Day (बाल दिवस) in India as it is the birth anniversary of the first Prime Minister of India, Pandit Jawaharlal (प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू) Nehru who loved children and children used to call him Chacha Nehru.
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इंडिया न्यूज। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और बच्चों के लोकप्रिय (चाचा) रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।
नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण के एक ऐसे परिवार में हुआ था जो उनकी प्रशासनिक योग्यता और विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। इनके पिता मोती लाल नेहरू पेशे से वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे।
Children’s Day 2021-Importance Significance of Bal Diwas
पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान लिया। अक्टूबर 1907 में नेहरू ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और वहां से 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की।
इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का अध्ययन किया। बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जेएम केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनीतिक सोच पर गहरा असर डाला।
1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और इनर टैम्पल इन से वकालत की। 1912 में नेहरू शिक्षा प्राप्त कर भारत वापस आ गए।
पंडित नेहरू जी ने 1912 में बांकीपुर पटना में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। स्थिति सुस्त और निराशाजनक होने के वजह से उन्होंने तिलक और एनी बेसेंट द्वारा होम रूल लीग के साथ अपना राजनीतिक जुड़ाव शुरू किया।
1916 में राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की गांधी जी से मुलाकात हुई और वह उनके शालीन व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित हुए। जवाहर लाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद, नगर निगम विभाग के अध्यक्ष बने। दो साल के कार्यकाल के उपरांत 1926 में इस पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
तत्पश्चात 1926 से 1928 तक कांग्रेस समीति के महासचिव के रूप में नेहरू ने कार्यभार संभाला। दिसम्बर 1929 लाहौर, कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में नेहरू पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसी वर्ष में इन्होनें पूर्ण स्वराज की मांग किया। 1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के कई महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गांधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने हिस्सा लिया।
1928 में साइमन कमीशन के विरूद्ध आन्दोलन का नेतृत्वकर्ता होने के फलस्वरूप नेहरू समेत अन्य लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया। 7 अगस्त 1942 मुम्बई में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प भारत छोड़ो के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया था।
यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहे थे। इस बार नेहरू जी की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने की वजह से नौ बार जेल जा चुके थे।
नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।
नेहरू के राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव तथा देश के हित में लिए गए निर्णय के फलस्वरूप गर्व से कहा जा सकता है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर मिला है।
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