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रामायण में कैकेयी के वचन वापस लेने के बाद भी भगवान राम क्यों गए वनवास? 14 वर्ष वन में निवास का ये था रहस्य!

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : November 11, 2024, 7:11 am IST
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रामायण में कैकेयी के वचन वापस लेने के बाद भी भगवान राम क्यों गए वनवास? 14 वर्ष वन में निवास का ये था रहस्य!

Mythological stories of Ramayana: रामायण में कैकेयी के वचन वापस लेने के बाद भी भगवान राम क्यों गए वनवास?

India News (इंडिया न्यूज), Mythological stories of Ramayana: रामायण की कथा के अनुसार राजा दशरथ की तीन रानियों में कैकेयी सबसे बहादुर थीं और उन्होंने राजा दशरथ का साथ दिया था। कथा के अनुसार एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच हो रहे युद्ध में देवराज इंद्र ने राजा दशरथ से मदद मांगी थी। उस समय रानी कैकेयी भी राजा दशरथ की सारथी बनकर उनके साथ गई थीं और उन्होंने युद्ध के मैदान में राजा दशरथ के प्राण बचाए थे, जिससे राजा दशरथ प्रसन्न हुए और कैकेयी से दो वरदान मांगने को कहा।

लेकिन कैकेयी ने उस समय वरदान नहीं मांगा, बल्कि कहा कि समय आने पर वह वरदान मांग लेंगी। जब भगवान राम के राजा बनने का समय आया तो कैकेयी ने राजगद्दी पर बैठने से एक दिन पहले राजा दशरथ से अपना वरदान मांगा। वरदान में उन्होंने भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा और दूसरे वरदान में उन्होंने अपने पुत्र भरत को राजा बनाने का वरदान मांगा।

भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास क्यों मांगा?

कैकेयी ने रामजी के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा, न एक वर्ष कम और न एक वर्ष अधिक। लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया? दरअसल, कैकेयी ने जानबूझकर 14 वर्ष के वनवास का वरदान मांगा था। एक नियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति लगातार 14 वर्षों तक किसी संपत्ति पर कब्जा करता है, तो उसके बाद उस पर उसका अधिकार हो जाता है। यही वजह है कि कैकेयी ने श्री राम के लिए पूरे 14 वर्ष का वनवास मांगा।

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वचन वापस लेने के बाद भी भगवान राम वनवास क्यों गए?

जब भरत को पता चला कि उनकी माता ने राजा दशरथ से ऐसा वचन मांगा है तो वे अपनी माता से नाराज हो गए। वे पूरी प्रजा के साथ भगवान राम को मनाने गए और वहां कैकेयी ने भी अपना वचन वापस ले लिया, लेकिन भगवान राम ने कहा कि वचन वही वापस ले सकता है जिसने वचन दिया हो और वचन तो राजा दशरथ ने दिया था। जब भरत भगवान राम को मनाने गए तो उस समय राजा दशरथ अपने पुत्र के शोक में स्वर्ग सिधार चुके थे। इसलिए वचन वापस नहीं लिया जा सकता था और भगवान राम ने अपने पिता का वचन पूरा करने के लिए 14 वर्ष का वनवास पूरा किया।

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