India News(इंडिया न्यूज), Lord Shiva And Vishnu Story In Shivpuran: शिवपुराण में भगवान शिव से जुड़ी कई हैरान कर देने वाली कथाओं का वर्णन है। जिनमें से एक वो कथा है, जिसमें भगवान शिव और विष्णु के बीच युद्ध के बारे में बताया गया है। इस युद्ध की वजह हैरान कर देने वाली है। शिवपुराण में ये कथा समुद्र मंथन के दौरान शुरू होती है, जब समुद्र से निकले अमृत का सेवन करने के लिए देवताओं और दानवों के बीच घमासान हो जाता है। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रुप धरके समाधान निकाला था। जब दानवों को पता चला कि उनके साथ छल हुआ है तो युद्ध पर उतर आए।
भगवान शिव से अप्सराओं ने मांगा वरदान
युद्ध में हारने के बाद जब दानव पाताल लोक लौट रहे थे तो भगवान विष्णु ने उनका पीछा किया और पाया कि दानवों ने अप्सराओं को कैद किया था। जब श्री हरि ने उन्हें दानवों से मुक्त कराया तो अप्सराएं प्रभु की मनमोहक छवि पर मोहित हो गईं। अप्सराओं ने भगवान शिव की आराधना की और वरदान में श्री हरि को पति रूप में मांग लिया। भोलेनाथ ने माया रचाई और अप्सराओं को वरदान मिल गया। शिवपुराण में बताया गया है कि अप्सराओं से भगवान विष्णु के पुत्रों का जन्म हुआ लेकिन इन सभी पुत्रों में दानवीय अवगुण थे।
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क्यों हुआ भगवान शिव और श्री हरि के बीच युद्ध?
शिवपुराण में वर्णित है कि श्री हरि के पुत्रों ने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया तो देवता और मनुष्य सभी भोलेनाथ के पास त्राहिमाम करते हुए पहुंचे। भोलेनाथ ने गुहार सुनते हुए तब वृषभ यानी कि बैल अवतार लिया और पाताल लोक पहुंचकर भगवान विष्णु के सभी पुत्रों का संहार कर दिया। जब से बाद श्री हरि को पता चली तो वो क्रोधित हो गए और युद्ध करने पहुंच गए। लंबे घमासान के बाद इस यद्ध का निष्कर्ष नहीं निकल रहा था।
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कैसे हुआ इस युद्ध का अंत?
इसके बाद अप्सराओं ने विष्णु जी को उनके वरदान से मुक्त करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की और श्री हरि अपने वास्तविक रूप में आए और उन्हें पूरी बात का बोध हुआ। इसके बाद श्री हरि, शिव से आज्ञा लेकर वापस विष्णुलोक लौट गए थे।