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आखिर क्या वजह आन पड़ी कि भगवान शिव को लेना पड़ा भैरव अवतार, इन कथाओं में छुपा है ये बड़ा रहस्य, काशी में आज भी मौजूद है सबूत!

PUBLISHED BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : November 22, 2024, 6:59 am IST
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आखिर क्या वजह आन पड़ी कि भगवान शिव को लेना पड़ा भैरव अवतार, इन कथाओं में छुपा है ये बड़ा रहस्य, काशी में आज भी मौजूद है सबूत!

Kaal Bhairav ​​Jayanti 2024: आखिर क्या वजह आन पड़ी कि भगवान शिव को लेना पड़ा भैरव अवतार

India News (इंडिया न्यूज़), Kaal Bhairav ​​Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर काल भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस साल काल भैरव जयंती 22 नवंबर, शुक्रवार को है। हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार लिया था। आइए जानते हैं भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार क्यों लिया।

आगे पढ़ें पौराणिक कथा

भगवान शिव ने क्यों लिया था काल भैरव अवतार

शिव महापुराण में वर्णित ब्रह्मा और भगवान विष्णु के संवाद में काल भैरव की उत्पत्ति से संबंधित उल्लेख मिलता है। एक बार भगवान विष्णु ने ब्रह्मा से पूछा कि इस ब्रह्मांड का सर्वश्रेष्ठ रचयिता कौन है? इस प्रश्न के उत्तर में ब्रह्मा ने स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताया। ब्रह्मा का उत्तर सुनकर भगवान विष्णु उनके शब्दों में निहित अहंकार और अति आत्मविश्वास से क्रोधित हो गए और दोनों मिलकर अपने प्रश्न का उत्तर देने के लिए चारों वेदों के पास गए।

सबसे पहले वे ऋग्वेद के पास गए। जब ​​ऋग्वेद ने उनका उत्तर सुना तो उन्होंने कहा “शिव सर्वश्रेष्ठ हैं, वे सर्वशक्तिमान हैं और सभी जीव उनमें समाहित हैं”। जब यह प्रश्न यजुर्वेद से पूछा गया तो उन्होंने उत्तर दिया “जिसकी हम यज्ञों के माध्यम से पूजा करते हैं, वही सर्वश्रेष्ठ है और वह शिव के अलावा कोई और नहीं हो सकता”।

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कपाल मोचन तीर्थ

ब्रह्मा का अहंकार शांत नहीं हुआ और वे उनके उत्तरों पर जोर-जोर से हंसने लगे। तभी वहां दिव्य ज्योति के रूप में महादेव का आगमन हुआ। शिव को देखकर ब्रह्मा का पांचवां सिर क्रोध की अग्नि में जलने लगा। उसी क्षण भगवान शिव ने अपना एक अवतार उत्पन्न किया और उसका नाम ‘काल’ रखा और कहा कि वह काल अर्थात मृत्यु का राजा है। काल या मृत्यु का वह राजा कोई और नहीं बल्कि शिव का ही अवतार भैरव था।

क्रोध से जलते हुए भैरव ने ब्रह्मा का सिर धड़ से अलग कर दिया। इस पर भगवान शिव ने भैरव को सभी तीर्थ स्थानों पर जाने को कहा ताकि उसे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल सके। भैरव के हाथ से ब्रह्मा का सिर गिर गया। काशी में जिस स्थान पर ब्रह्मा का कटा हुआ सिर गिरा, उसे कपाल मोचन तीर्थ कहा जाता है। उस दिन से लेकर आज तक काल भैरव काशी में स्थाई रूप से निवास करते हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति तीर्थ यात्रा के लिए काशी जाता है या वहां रहता है, उसे कपाल मोचन तीर्थ के दर्शन अवश्य करने चाहिए।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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