सीता की चिंता और निर्णय
समय बीत रहा था, और राम और लक्ष्मण लौटकर नहीं आए। सीता की चिंता बढ़ रही थी। समय समाप्त होने वाला था, और उन्हें पता था कि अनुष्ठान का समय खत्म हो जाएगा। इस स्थिति में, सीता ने तय किया कि जो सामग्री उनके पास है, उसी से वह अंतिम संस्कार करेंगी। उन्होंने फल्गु नदी में स्नान किया, गाय का दूध निकाला, केतकी का फूल तोड़ा और बरगद के पत्ते का उपयोग किया। जब उन्होंने हवन किया और दीपक जलाया, तब आकाशवाणी हुई, जिसमें राजा दशरथ की आवाज थी, जो उनकी प्रक्रिया को स्वीकार कर रही थी।
अगर अचानक से बुझ जाएं अखंड ज्योत तो क्या करें…ज्योतिशास्त्र में कैसे बताया गया है इसका समाधान?
राजा दशरथ की आकाशवाणी
राजा दशरथ ने सीता को बताया कि उनके पास पांच साक्षी हैं—फल्गु नदी, अग्नि, गाय, बरगद और केतकी का फूल। लेकिन सीता अब भी शंकित थीं कि क्या राम और लक्ष्मण उनके अनुष्ठान पर विश्वास करेंगे।
राम और लक्ष्मण का लौटना
जब राम और लक्ष्मण लौटे, तो उन्होंने सीता से सुना कि उन्होंने अनुष्ठान पूरा कर दिया, लेकिन उन्हें विश्वास नहीं हुआ। राम ने फल्गु नदी से पूछा, और नदी ने मना कर दिया। फिर गाय और केतकी का भी यही उत्तर मिला। अंत में, जब राम ने बरगद से पूछा, तो उसने सीता की बात को स्वीकार किया। लेकिन तब भी राम ने सीता पर पूरी तरह से विश्वास नहीं किया।
कैसे हुई थी नवरात्रि की शुरुआत? सबसे पहले किसने रखा था मां के लिए व्रत और किस प्रकार की थी पूजा?
सीता का क्रोध और श्राप
सीता ने सभी को श्राप दिया—केतकी, गाय, अग्नि, और फल्गु नदी को। उन्होंने कहा कि केतकी अब पूजा योग्य नहीं रहेगी, अग्नि को यह श्राप मिला कि वह शुद्ध और अशुद्ध का भेद नहीं कर सकेगी, गाय अब बचे हुए खाने पर निर्भर रहेगी, और फल्गु नदी सूख जाएगी।
बरगद का वरदान
हालांकि, बरगद को सीता ने आशीर्वाद दिया कि उसे अमरता प्राप्त होगी और वह भविष्य के अनुष्ठानों के लिए पवित्र माना जाएगा।
सीता की समझ
इस घटना ने सीता को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। उन्होंने महसूस किया कि भले ही राम उन पर भरोसा करें, परंतु दूसरों की बातों का असर भी होता है। इसलिए उन्हें हर बार अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा, जो उनके विश्वास की परीक्षा थी।
शिव को लेकर कहे थे ऐसे गलत शब्द और माता पार्वती ने दे दिया था समुद्र देव को ऐसा श्राप…पूरे कलयुग भर भुगतना पड़ेगा?
इस प्रकार, सीता का श्राप और बरगद का वरदान आज भी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण संदर्भ हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि विश्वास और सत्य की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और कैसे व्यक्ति के कार्य और उनके परिणाम एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।