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Magh Mela 2026: संगम स्नान से लेकर कल्पवास तक,जाने माघ मेले से जुड़ी हर जरूरी बात, प्रमुख तिथियां और धार्मिक मान्यताएं

Magh Mela 2026: प्रयागराज में संगम के तट पर हर साल माघ मेले का आयोजन होता है. माघ मेला पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक लगता है.इस बार इसक साल यह 3 जनवरी से 15 फरवरी चलेगा,आइए जानते हैं माघ मेला और कल्पलास से जुड़ी बातों के बारे में विस्तार से.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: December 31, 2025 12:19:20 IST

Magh Mela 2026: भारत के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है माघ मेला , जो हर साल प्रयागराज की पवित्र भूमि पर लगता है. यह मेला पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान के साथ शुरू होता है और महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होता है. हर साल, लाखों श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने के लिए संगम पर आते हैं. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ महीने में संगम में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अनंत पुण्य मिलता है.

 माघ मेला के बारे में अक्सर लोगों के मन में ढ़ेरो सवाल होते हैं- जैसे कि माघ मेले में स्नान करने के फायदे, स्नान की महत्वपूर्ण तारीखें, और कल्पवास क्या है और यह कितने समय तक चलता है. तो आइए इन्हीं सारे सावालों का जवाब जानते हैं.

माघ मेला 2026 प्रयागराज

  • मेला शुरू – 3 जनवरी, 2026 (शनिवार)
  • मेला समाप्त – 15 फरवरी, 2026 (रविवार)
  • माघ मेला कितने दिनों तक रहता है – 44 दिन
  • माघ मेला  कहा लगता है – त्रिवेणी संगम, प्रयागराज

माघ मेला और कुंभ मेला में क्या अंतर है? 

माघ मेला हर साल प्रयागराज में आयोजित होता है, जबकि कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार और अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल में एक बार आयोजित होता है.

संगम स्नान का सबसे अच्छा समय क्या है? 

संगम स्नान के लिए सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है. 

2026 में महा माघ मेले के आस-पास घूमने की कुछ जगहें कौन सी हैं? 

संगम में स्नान करने के बाद, आप अक्षय वट, पातालपुरी मंदिर, हनुमान मंदिर और द्वादश माधव मंदिरों में जा सकते हैं.

कल्पवास कितने दिनों तक चलता है? 

आमतौर पर  कल्पवास 30 दिनों तक चलता है, पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक.

क्या माघ मेला में कल्पवास सबके लिए अनिवार्य होता है? 

 नहीं, कल्पवास सभी के लिए अनिवार्य नहीं होता है.

माघ मेला 2026 स्नान की महत्वपूर्ण तारीखें

  • पौष पूर्णिमा स्नान – 3 जनवरी, 2026
  • मकर संक्रांति स्नान – 14 जनवरी, 2026
  • मौनी अमावस्या स्नान – 18 जनवरी, 2026
  • बसंत पंचमी स्नान – 23 जनवरी, 2026
  • माघी पूर्णिमा स्नान – 1 फरवरी, 2026
  • महाशिवरात्रि स्नान – 15 फरवरी, 2026

माघ मेले में स्नान करने से क्या फायदा होता है?

  • ऐसा माना जाता है कि माघ मेले में स्नान करने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है.
  • यह पवित्र स्नान पापों से मुक्ति दिलाता है और आत्मा को शुद्ध करता है.
  • संगम में स्नान करने से तनाव से राहत मिलती है.
  • माघ मेले में स्नान करना स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. माघ स्नान और दान से ग्रहों के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है.

कल्पवास क्या होता है? (What is Kalpavas?)

कल्पवास एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अनुष्ठान और अभ्यास है. इस दौरान, भक्त एक महीने तक संगम के किनारे रहते हैं और नियमित रूप से पवित्र स्नान करते हैं. ये स्नान सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि दिन में तीन बार किए जाते हैं. इस दौरान केवल शुद्ध और सात्विक भोजन किया जाता है, और वह भी दिन में सिर्फ एक बार. कल्पवास के दौरान स्नान, ध्यान, पूजा और जप अनिवार्य हैं. कल्पवास के दौरान, भक्त केवल जमीन पर सोते हैं, जिसका मतलब है कि वे सांसारिक सुख-सुविधाओं से दूरी बनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति कल्पवास करता है, उसके सभी पाप धुल जाते हैं.

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. INDIA News इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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Magh Mela 2026: संगम स्नान से लेकर कल्पवास तक,जाने माघ मेले से जुड़ी हर जरूरी बात, प्रमुख तिथियां और धार्मिक मान्यताएं

Magh Mela 2026: प्रयागराज में संगम के तट पर हर साल माघ मेले का आयोजन होता है. माघ मेला पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक लगता है.इस बार इसक साल यह 3 जनवरी से 15 फरवरी चलेगा,आइए जानते हैं माघ मेला और कल्पलास से जुड़ी बातों के बारे में विस्तार से.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: December 31, 2025 12:19:20 IST

Magh Mela 2026: भारत के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है माघ मेला , जो हर साल प्रयागराज की पवित्र भूमि पर लगता है. यह मेला पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान के साथ शुरू होता है और महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होता है. हर साल, लाखों श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने के लिए संगम पर आते हैं. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ महीने में संगम में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अनंत पुण्य मिलता है.

 माघ मेला के बारे में अक्सर लोगों के मन में ढ़ेरो सवाल होते हैं- जैसे कि माघ मेले में स्नान करने के फायदे, स्नान की महत्वपूर्ण तारीखें, और कल्पवास क्या है और यह कितने समय तक चलता है. तो आइए इन्हीं सारे सावालों का जवाब जानते हैं.

माघ मेला 2026 प्रयागराज

  • मेला शुरू – 3 जनवरी, 2026 (शनिवार)
  • मेला समाप्त – 15 फरवरी, 2026 (रविवार)
  • माघ मेला कितने दिनों तक रहता है – 44 दिन
  • माघ मेला  कहा लगता है – त्रिवेणी संगम, प्रयागराज

माघ मेला और कुंभ मेला में क्या अंतर है? 

माघ मेला हर साल प्रयागराज में आयोजित होता है, जबकि कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार और अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल में एक बार आयोजित होता है.

संगम स्नान का सबसे अच्छा समय क्या है? 

संगम स्नान के लिए सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है. 

2026 में महा माघ मेले के आस-पास घूमने की कुछ जगहें कौन सी हैं? 

संगम में स्नान करने के बाद, आप अक्षय वट, पातालपुरी मंदिर, हनुमान मंदिर और द्वादश माधव मंदिरों में जा सकते हैं.

कल्पवास कितने दिनों तक चलता है? 

आमतौर पर  कल्पवास 30 दिनों तक चलता है, पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक.

क्या माघ मेला में कल्पवास सबके लिए अनिवार्य होता है? 

 नहीं, कल्पवास सभी के लिए अनिवार्य नहीं होता है.

माघ मेला 2026 स्नान की महत्वपूर्ण तारीखें

  • पौष पूर्णिमा स्नान – 3 जनवरी, 2026
  • मकर संक्रांति स्नान – 14 जनवरी, 2026
  • मौनी अमावस्या स्नान – 18 जनवरी, 2026
  • बसंत पंचमी स्नान – 23 जनवरी, 2026
  • माघी पूर्णिमा स्नान – 1 फरवरी, 2026
  • महाशिवरात्रि स्नान – 15 फरवरी, 2026

माघ मेले में स्नान करने से क्या फायदा होता है?

  • ऐसा माना जाता है कि माघ मेले में स्नान करने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है.
  • यह पवित्र स्नान पापों से मुक्ति दिलाता है और आत्मा को शुद्ध करता है.
  • संगम में स्नान करने से तनाव से राहत मिलती है.
  • माघ मेले में स्नान करना स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. माघ स्नान और दान से ग्रहों के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है.

कल्पवास क्या होता है? (What is Kalpavas?)

कल्पवास एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अनुष्ठान और अभ्यास है. इस दौरान, भक्त एक महीने तक संगम के किनारे रहते हैं और नियमित रूप से पवित्र स्नान करते हैं. ये स्नान सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि दिन में तीन बार किए जाते हैं. इस दौरान केवल शुद्ध और सात्विक भोजन किया जाता है, और वह भी दिन में सिर्फ एक बार. कल्पवास के दौरान स्नान, ध्यान, पूजा और जप अनिवार्य हैं. कल्पवास के दौरान, भक्त केवल जमीन पर सोते हैं, जिसका मतलब है कि वे सांसारिक सुख-सुविधाओं से दूरी बनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति कल्पवास करता है, उसके सभी पाप धुल जाते हैं.

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. INDIA News इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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