Magh Mela 2026: प्रयागराज में संगम तट पर हर साल माघ मेला आयोजित किया जाता है, कुंभ मेले की तरह ही माघ मेले का भी हिंदू धर्म में खास महत्व है. इस साल माघ मेला 3 जनवरी से 15 फरवरी 2026 तक चलेगा.
माघ मेला प्रयागराज में माघ महीने (जनवरी-फरवरी) में लगता है. 45 दिनों के माघ मेले के दौरान, कल्पवासी कहलाने वाले भक्त नदी के किनारे रहते हैं और तपस्या करते हैं. आइए जानते हैं कि माघ मेला हर साल क्यों लगता है, इसका इतिहास और महत्व क्या है.
माघ मेला हर साल क्यों लगता है?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हर साल लगने वाला यह विशाल मेला दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी आध्यात्मिक सभाओं में से एक माना जाता है. प्रयागराज वह तीर्थ स्थान है जहाँ तीन पवित्र नदियाँ गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं. माना जाता है कि माघ महीने में संगम में स्नान करने से अमरत्व के गुण मिलते हैं. साल के ये 45 दिन पापों से मुक्ति पाने का मौका देते हैं. यही वजह है कि माघ मेला हर साल लगता है.
माघ मेले का महत्व
पद्म पुराण में कहा गया है कि भगवान विष्णु अन्य महीनों में जप, तपस्या और दान से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने वे माघ महीने में नदियों और तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से होते हैं. यही कारण है कि पुराणों में माघ महीने में शुभ स्नान को भगवान नारायण को प्राप्त करने का एक आसान रास्ता बताया गया है.
माना जाता है कि माघ मेले के दौरान देवता संगम के किनारे निवास करते हैं, और इसलिए, इस समय खास तारीखों पर यहाँ स्नान करने से देवताओं का विशेष आशीर्वाद मिलता है. माना जाता है कि जो लोग इस दौरान कल्पवास (तपस्या और प्रायश्चित का समय) करते हैं, उन्हें मोक्ष मिलता है. माघ महीने में सुबह स्नान करने से लंबी उम्र, स्वास्थ्य, सुंदरता, शक्ति और सौभाग्य मिलता है.
माघ मेले का इतिहास
माघ मेला कुंभ मेले का एक छोटा रूप है. समुद्र मंथन के दौरान, जब देवता और राक्षस अमृत कलश के लिए लड़ रहे थे, तो अमृत की कुछ बूंदें उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और इलाहाबाद की पवित्र नदियों में गिरीं. यही कारण है कि माघ मेले के दौरान पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को अमृत पीने के बराबर पुण्य मिलता है.
माघ मेला 2026 मुख्य स्नान की तारीखें
- 3 जनवरी – पौष पूर्णिमा
- 14 जनवरी – मकर संक्रांति
- 18 जनवरी – मौनी अमावस्या
- 23 जनवरी – बसंत पंचमी
- 1 फरवरी – माघ पूर्णिमा
- 15 फरवरी – महाशिवरात्रि