India News (इंडिया न्यूज़), Maha Asthami 2023, दिल्ली: शारदीय नवरात्रि में अष्टमी का खास महोत्सव होता है। इस दिन की अष्टमी को महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दिन खास तरह की पूजा की जाती है। अगर आप भी इस दिन अपने उपवास को खोलते हैं। तो उससे पहले यह पांच प्रकार की पूजा जानना आपके लिए आवश्यक है। अगर आप ये पूजा करते हैं तो माता रानी बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होंगी और खुश होकर आपको आशीर्वाद देंगी।
महाष्टमी में सबसे पहले षोडशोपचार पूजा होती है। यानी इस दिन माता महागौरी को 16 श्रृंगार करके 16 प्रकार की सामग्री के साथ उनकी पूजा की जाती है।
अगर आप भी इस महाष्टमी पर अपने घर में हवन यज्ञ करने वाले हैं। तो इससे पहले हवन यज्ञ की विधि की पूजा होती है इसके बाद ही घर में हवन किया जाता है।
महाष्टमी पर कन्या भोज किया जाता है। यथाशक्ति नौ कन्याओं को भोज करने से पहले उनकी पूजा की जाती है। साथ ही बता दे कि इस कन्या पूजा को कुमारिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
महाष्टमी के दिन संधी पूजा का बहुत बड़ा महत्व होता है। इसका मतलब है जब अष्टमी और नवमी तिथि का मिलन हो रहा हो तभी इस पूजा को किया जाता है। संधी पूजा में अष्टमी खत्म होने के आखिर के 24 मिनट और नवमी शुरू होने की शुरुआत के 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं।
यह पूजा अष्टमी के शुरू होने पर की जाती है। या कहें तो जैसे अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर को है तो 21 अक्टूबर के निश्चित काल में यह पूजा की जाती है। इसके अलावा नवरात्रि की सप्तमी तिथि की रात के जाने वाली पूजा को निशा पूजा कहा जाता है। इसके अलावा इस पूजा को निशीथ पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
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