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कौन बना था महादेव और श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध की वजह? कौन थी वो प्रबल स्त्री जिसने रुकवाया था ये महायुद्ध

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : January 27, 2025, 4:41 pm IST
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कौन बना था महादेव और श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध की वजह? कौन थी वो प्रबल स्त्री जिसने रुकवाया था ये महायुद्ध

Yuddh Between Mahadev & Shri Krishna: कौन बना था महादेव और श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध की वजह

India News (इंडिया न्यूज), Yuddh Between Mahadev & Shri Krishna: हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण के बीच एक भयंकर युद्ध की कथा बहुत कम ही सुनने को मिलती है। यह युद्ध खासतौर पर असुर राजा बाणासुर के कारण हुआ था, और इसका कारण भी बहुत दिलचस्प है। आइए जानते हैं इस कथा के बारे में:

बाणासुर और ऊषा का विवाह

असुर राजा बाणासुर की एक बेटी थी, जिसका नाम ऊषा था। ऊषा भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध से विवाह करना चाहती थी। अनिरुद्ध भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युमन का पुत्र था। ऊषा ने अनिरुद्ध को अगवाह कर लिया और उससे गंधर्व विवाह कर लिया।

इस विवाह के बाद बाणासुर ने अनिरुद्ध को बंदी बना लिया और उसे कारावास में डाल दिया। बाणासुर का मानना था कि इस विवाह को स्वीकार करना उसकी प्रतिष्ठा के खिलाफ था, क्योंकि वह खुद एक शक्तिशाली असुर था और श्रीकृष्ण के परिवार से किसी भी प्रकार के संबंध को नहीं देखना चाहता था।

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श्रीकृष्ण का प्रतिकार और युद्ध की शुरुआत

जब भगवान श्रीकृष्ण को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने अपनी नारायणी सेना के साथ बाणासुर के खिलाफ युद्ध की तैयारी की और वहां पहुंचे। लेकिन बाणासुर, जो जानता था कि वह अकेले श्रीकृष्ण की सेना से नहीं लड़ सकता, ने भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव, जो अपने आप में एक बहुत ही शक्तिशाली देवता हैं, ने बाणासुर का साथ दिया और अपने शिवगण के साथ युद्ध में शामिल हो गए।

शिव और कृष्ण के बीच युद्ध

अब भगवान कृष्ण और भगवान शिव के बीच भयंकर युद्ध हुआ। भगवान शिव की सेना और भगवान श्रीकृष्ण की नारायणी सेना के बीच यह युद्ध काफी भीषण था, जिससे सृष्टि के विनाश का खतरा पैदा हो गया। दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी शक्ति के साथ संघर्ष कर रहे थे। भगवान शिव की शक्ति से भगवान कृष्ण को चुनौती मिल रही थी, जबकि भगवान कृष्ण भी अपनी अद्वितीय शक्तियों के साथ युद्ध कर रहे थे।

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देवताओं की मध्यस्थता और शांति की स्थापना

इस युद्ध से सृष्टि के विनाश का खतरा उत्पन्न हो गया था। देवता इस संकट से बचने के लिए चिंतित हो गए और उन्होंने माँ दुर्गा की आराधना की, ताकि वह इस युद्ध को समाप्त करवा सकें। माँ दुर्गा की कृपा से, दोनों पक्षों के बीच शांति स्थापित हुई। भगवान शिव और श्रीकृष्ण दोनों को शांत किया गया और अंततः बाणासुर ने ऊषा और अनिरुद्ध का विवाह करवाने का फैसला किया।

यह कथा भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण के बीच संघर्ष का प्रतीक है, जो एक असुर के परिवार और उनके संबंधों की वजह से हुआ था। यह युद्ध भले ही एक भयंकर रूप ले लिया था, लेकिन अंततः भगवान शिव और श्रीकृष्ण के बीच सामंजस्य स्थापित किया गया। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि देवताओं के बीच संघर्ष के बावजूद, शांति और समझ की महत्वता हमेशा सर्वोपरि होती है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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