संबंधित खबरें
धारण करते हैं दुसरा भेस! देवी-देवता इन रुपों में देते हैं दरशन, अगर महाकुंभ में मिल जाए ये वस्तु तो पलट जाएगा भाग्य!
बन रहा महासंयोग, शुक्र-शनि मिल कर बना रहे हैं शश राजयोग, इन रेशियों की खुलेगी किस्मत की चाभी!
इस मूलांक के जातकों की बदल जाएगी किस्मत, नए हमसफर का मिल सकता है साथ, जिंदगी में होगा पलटफेर!
Today Horoscope: इस एक राशि के जीवन में आएगा एक नया साथी, तो वही 5 जातकों को रखना होगा अपने काम का विशेष ध्यान, जानें आज का राशिफल
Basant Panchami 2025: 2 या 3 फरवरी आखिर कब है इस साल की बसंत पंचमी, इस एक उपाय को करने से पाए पूरे साल सुख और ऐश्वर्य?
लम्बे समय से जकड़े हुई है कोई बीमारी पाना चाहते है छुटकारा, तो मंगलवार को जरूर करें ये छोटा सा काम?
India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Draupadi’s Cheerharan: महाभारत के महान ग्रंथ में कई प्रमुख घटनाएँ और पात्र शामिल हैं जिन्होंने कहानी को गहरा और समृद्ध बनाया। एक ऐसी ही घटना है जब पांच पांडवों ने अपने पत्नी द्रौपदी को जुए में दांव पर लगाया था। इस संकटपूर्ण स्थिति में, केवल एक कौरव ने द्रौपदी का समर्थन किया था, और वह था युयुत्सु।
युयुत्सु धृतराष्ट्र का पुत्र था, लेकिन वह गांधारी के गर्भ से नहीं, बल्कि एक वैश्य महिला सुघदा के गर्भ से जन्मा था। युयुत्सु का जन्म गांधारी के सौ पुत्रों से पहले हुआ था, इसलिए उसे सौ कौरवों की तरह नहीं माना जाता था। युयुत्सु का दिल हमेशा धर्म और सत्य की ओर झुका रहा।
Mahabharata: कौन था वो एक मात्र कौरव जिसकी महाभारत युद्ध में नहीं हुई थी मृत्यु?
जब द्रौपदी को द्रौपदी सभा में अपमानित किया जा रहा था, तब सभी कौरव मौन थे या दुर्योधन का साथ दे रहे थे। उस समय, युयुत्सु ने साहस दिखाया और द्रौपदी का समर्थन किया। उसने खुलकर दुर्योधन और कौरवों के अन्य भाइयों के अधर्म और अन्याय का विरोध किया।
युयुत्सु का यह धर्मपक्ष महाभारत की कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उसने केवल द्रौपदी का समर्थन ही नहीं किया, बल्कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए पांडवों के पक्ष में भी खड़ा हुआ। महाभारत के युद्ध में उसने कौरवों का साथ छोड़कर पांडवों का साथ दिया।
महाभारत के युद्ध में युयुत्सु ने पांडवों के साथ लड़ाई की और धर्म और न्याय के पक्ष में अपना योगदान दिया। युद्ध के बाद, युधिष्ठिर ने उसे हस्तिनापुर का एक महत्वपूर्ण पद दिया और उसने पांडवों के राज्याभिषेक में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
युयुत्सु का साहस और धर्म के प्रति उसकी निष्ठा महाभारत की कथा में एक प्रेरणादायक अध्याय है। जब सभी कौरव द्रौपदी के अपमान पर मौन थे, तब युयुत्सु ने न्याय और धर्म का पक्ष लिया। उसका यह साहस और निष्ठा उसे महाभारत के अन्य पात्रों से अलग और विशिष्ट बनाते हैं।
Mahabharata: द्रौपदी ने मांगा था शिव जी से ऐसा वरदान, 5 की जगह होते 14 पति!
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.