India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Arjun Kidnapped Subhadra: द्वारका नगरी में सुभद्रा का निवास था, जो कि भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की बहन थीं। सुभद्रा का सौंदर्य और सादगी, दोनों ही अद्वितीय थे, और उनकी चर्चा पूरे आर्यावर्त में होती थी। श्रीकृष्ण के हृदय में सुभद्रा के लिए विशेष स्नेह था, और वे उनकी खुशियों का ध्यान रखते थे। दूसरी ओर, हस्तिनापुर में अर्जुन, जो श्रीकृष्ण के बुआ कुंती के पुत्र थे, वीरता और धर्म का प्रतिमान माने जाते थे। श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच घनिष्ठ मित्रता थी, और वे अक्सर एक-दूसरे से मिलने जाते थे।
एक दिन, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को द्वारका आने का निमंत्रण दिया। अर्जुन भी अपने प्रिय मित्र से मिलने की इच्छा रखते थे, इसलिए वे तुरंत द्वारका की ओर प्रस्थान कर गए। जैसे ही अर्जुन द्वारका पहुंचे, उन्होंने श्रीकृष्ण की सुंदर और गुणी बहन सुभद्रा को देखा। सुभद्रा का रूप देखकर अर्जुन के हृदय में प्रेम की भावना उत्पन्न हो गई। उनकी आँखों से सुभद्रा का रूप हटता ही नहीं था, और वे दिन-रात उनके बारे में ही सोचने लगे।
कौन था वो महान योद्धा जिसके सिर ने पहले ही देख लिया था महाभारत का युद्ध?
श्रीकृष्ण को अर्जुन की इस भावनाओं का आभास हो गया था। वे समझ गए कि अर्जुन का प्रेम सच्चा है, लेकिन एक समस्या थी। बलराम, जो सुभद्रा के बड़े भाई थे, ने सुभद्रा का विवाह कौरवों के वीर योद्धा दुर्योधन से तय कर रखा था। बलराम, दुर्योधन को एक योग्य वर मानते थे, लेकिन श्रीकृष्ण जानते थे कि सुभद्रा और अर्जुन एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने पास बुलाया और कहा, “प्रिय मित्र, यदि तुम सुभद्रा से विवाह करना चाहते हो, तो तुम्हें एक कठिन कार्य करना होगा। तुम्हें सुभद्रा का अपहरण करना होगा।”
किस बात पर छिड़ बैठा था अर्जुन और श्री कृष्ण के बीच भीषण युद्ध?
अर्जुन ने पहले तो संकोच किया, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें भरोसा दिलाया कि यह अपहरण धर्म के मार्ग पर होगा और इससे किसी का अहित नहीं होगा। अर्जुन ने श्रीकृष्ण की सलाह मानी और सुभद्रा के पास गए। उन्होंने सुभद्रा से अपने प्रेम का इज़हार किया और उन्हें अपने साथ चलने का निवेदन किया। सुभद्रा भी अर्जुन के प्रति प्रेम का अनुभव कर रही थीं, इसलिए वे सहर्ष तैयार हो गईं।
अर्जुन ने सुभद्रा को रैवदर पर्वत से अपने रथ पर बैठाया और वे दोनों द्वारका से निकल गए। जब बलराम को इस अपहरण का समाचार मिला, तो वे क्रोधित हो गए और अपने सैनिकों को लेकर अर्जुन को रोकने के लिए निकल पड़े। लेकिन श्रीकृष्ण ने बलराम को समझाया और कहा, “भैया, अर्जुन और सुभद्रा का प्रेम सच्चा है। उन्हें विवाह करने दीजिए।”
किस भगवान की कितनी बार करनी चाहिए परिक्रमा? एक बार जान ले कहीं आप भी तो नहीं कर रहे चूंक
श्रीकृष्ण की बातों से बलराम का क्रोध शांत हो गया और उन्होंने अर्जुन और सुभद्रा के विवाह को स्वीकृति दे दी। इस प्रकार अर्जुन और सुभद्रा का गंधर्व विवाह हुआ और वे हस्तिनापुर लौट गए।
इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि सच्चा प्रेम, चाहे कितनी भी कठिनाइयों से गुज़रे, अंततः विजयी होता है। अर्जुन और सुभद्रा का प्रेम विवाह महाभारत की एक महत्वपूर्ण घटना है, जो यह दर्शाता है कि प्रेम और समर्पण के लिए कुछ भी असंभव नहीं होता।
महाभारत काल में पांडवों का ये भाई खा गया था अपने ही पिता का दिमाग, वजह जान दंग रह गई थी प्रजा?
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.