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India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat: महाभारत युद्ध के बारे में सभी ने सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं की महाभारत के युद्ध में अधर्मी कौरवों का साथ देने के बावजूद भी शकुनि को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। जबकि भगवान कृष्ण के साथ पांडव को नरक भोगना पड़ा था।
मान्यता के अनुसार बताया तो शकुनि में कौरवों का साथ देते हुए अधर्मी को बढ़ावा दिया था। शकुनि ने ही दुर्योधन को पांडवों के खिलाफ उकसाया था और महाभारत जैसे बड़े युद्ध को शकुनि द्वारा ही रचा गया था। इसके बाद आखिर में शकुनि को क्यों स्वर्ग दिया गया था? इसके पीछे की पौराणिक कथा काफी दिलचस्प है।
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माना जाता है कि शकुनि अधर्मी तो था लेकिन अपनी बहन गांधारी से बेहद प्यार करता था और शकुनि इस बात से काफी क्रोधित था कि गांधारी का विवाह ऐसे घर में हुआ। जहां उसे अपनी आंखों पर पट्टी बाधनी पड़ी थी। जब गांधारी का जन्म हुआ था तो उसकी कुंडली में दोष था। जिस कारण से उसका विवाह जिससे भी होता वो मर जाता और वह विधवा हो जाती है, इसलिए गांधारी का विवाह उनके पिता महाराज सुबला ने एक बकरे के साथ कराया। जिसके बाद बकरे की हत्या कर गांधारी को दोष से मुक्त किया गया था। Mahabharat
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कुछ समय बाद जब गंधारी का विवाह धृतराष्ट्र के साथ हुआ और भीष्म पितामह को पता चला कि उनकी राजवधू एक विधवा है। तो उन्होंने महाराज सुबला सहित पूरे परिवार को कारावास में डाल दिया था। कारावास में महाराज सुबला और उनके पूरे परिवार को केवल एक मुट्ठी अनाज ही दिया जाता था, लेकिन वह सभी अपने हिस्से का आनाज शकुनि को खिलाते थे। जिससे वह बदला ले सके। शकुनि ने अपने बदले को कौरवों का विनाश करके ही लिया इसलिए इतने पाप करने के बावजूद भी शकुनि को स्वर्ग की प्राप्ति हुई।
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