संबंधित खबरें
साल 2025 लगते ही पूरे 12 साल के बाद गुरु करेंगे मिथुन और कर्क राशि में प्रवेश, जानें कितने फायदों से भर देंगे आपका दामन?
क्या सच में यूरोपीय देशों से पहले भारत में हो चुकी थी ईसाई धर्म की शुरुआत? आखिर क्या है हिंदुस्तान के सबसे पुराने चर्च की कहानी?
साल 2025 के पहले ही दिन घर के मैन डोर पर बांध दे बस ये एक चीज, पूरा साल धन-धान्य से भर देंगी मां लक्ष्मी
फर्जी है Christmas Tree? नहीं है बाइबल से कोई कनेक्शन, सिर्फ एक छोटी सी चीज पहुंचाती है ईश्वर तक
रावण से भी दो कदम आगे था लंका का ये राक्षस, कुंभकर्ण को भी देता था बड़ी टक्कर, था इतना खतरनाक की लंकावासी भी खाते थे खौफ!
Today Horoscope: इस 1 राशि को मिलेगा आज उनका बिछड़ा हुआ प्यार, तो वही इन 3 जातकों को खुशियां मिलेंगी अपार, जानें आज का राशिफल!
India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat War: महाभारत एक ऐसे युद्ध की कहानी है जो हमेशा से इस देश के मन में रहा है। इस युद्ध की गिनती देश के महान युद्धों में होती है। इसके बारे में हजारों सालों से पढ़ा जाता रहा है। यह एक ऐसा युद्ध था जो कौरवों और पांडवों से भी ज्यादा एक कुटिल व्यक्ति के बदले का नतीजा था। वह न जाने कितने सालों से अपने दिल में इस बदले की भावना को पाल रहा था। वह कुटिल व्यक्ति असल में शकुनि था। हम जानेंगे कि शकुनि के अंदर सालों तक बदले की कौन सी आग जलती रही, जिसमें उसने खुद को ही नष्ट कर लिया।
अपनी बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से करने के बाद वह क्या चाहता था, कोई भी भाई अपनी बहन के घर के लिए ऐसा नहीं करना चाहता। दरअसल शकुनि पांडवों से भी ज्यादा कुरु वंश का नाश चाहता था। दरअसल महाभारत कौरवों और पांडवों के इर्द-गिर्द जितनी घूमती है, उतनी ही शकुनि के इर्द-गिर्द भी घूमती है। शकुनि कौरवों और पांडवों के बीच भारी दुश्मनी पैदा करने और फिर इस संघर्ष को महाभारत जैसे युद्ध में बदलने के लिए जिम्मेदार था। महाभारत का युद्ध जब हुआ तो कुरुवंश का नाश तो नहीं हुआ लेकिन कौरवों का नाश जरूर हो गया। इस युद्ध में स्वयं शकुनि मारा गया। यहां तक कि उसका पुत्र उलूक भी जीवित नहीं बचा।
शकुनि महाभारत का मुख्य पात्र है। वह गांधारी का भाई है। वह दुर्योधन का मामा है। वह पासे और भांजे दुर्योधन के माध्यम से अपनी सारी कुटिल चालें चलता है। वह गांधार के राजा सुबलराज का पुत्र था। जब गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ, तो शकुनि भी वहाँ आया। वह दिल और दिमाग से धोखेबाज और दुष्ट था। दुर्योधन ने शकुनि को अपना मंत्री नियुक्त किया।
शकुनि हमेशा ऐसे काम करता था जिससे पांडव परेशान रहते थे। फिर महाभारत युद्ध में सबसे कमजोर माने जाने वाले पांडव भाई शकुनि ने ऐसा किया। उसने शकुनि का वध कर दिया। उसने यह कैसे किया, यह हम आगे पढ़ेंगे।
गांधार राजकुमार शकुनि जुआ खेलने में माहिर था। जब भी दुर्योधन युधिष्ठिर को धोखे से चौसर खेलने के लिए बुलाता था, तो शकुनि पासे उसकी ओर फेंक देता था। वह इतना चतुर जुआरी था कि उसने युधिष्ठिर को एक भी दांव जीतने नहीं दिया। वह न केवल युधिष्ठिर को बुरी तरह से हराता था बल्कि उसे उकसाता था कि वह जो कुछ भी बचा है उसे दांव पर लगा दे।
शकुनि ने दुर्योधन को कभी उचित सलाह नहीं दी। कहा जाता है कि गांधार नरेश ने अपनी बेटी गांधारी का विवाह राजनीतिक उद्देश्य से धृतराष्ट्र से किया था। लेकिन शकुनि को यह बेमेल विवाह कभी पसंद नहीं आया।
उन्हें लगा कि ऐसा करके कुरु वंश ने उनके राज्य और उनके परिवार दोनों का अपमान किया है। चूँकि कुरु वंश बहुत शक्तिशाली था, इसलिए शकुनि उन्हें सीधे नुकसान नहीं पहुँचा सकता था। तब भीष्म ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से करवा दिया। इसलिए उन्होंने शपथ ली कि वे इसका बदला लेंगे और कुरु वंश को पूरी तरह से नष्ट कर देंगे। इसीलिए वे ऐसी चालें चलते थे ताकि कौरव और पांडव आपस में लड़कर खुद को नष्ट कर लें।
चूंकि दुर्योधन को शकुनि पर बहुत भरोसा था, इसलिए शकुनि के लिए कोई भी षड्यंत्र रचना बहुत आसान था। शकुनि के षड्यंत्र के कारण ही सबसे पहले पांडवों को वनवास जाना पड़ा। फिर द्रौपदी का अपमान हुआ। इसके बाद यह संघर्ष महाभारत युद्ध में बदल गया।
महाभारत में शकुनि के परिवार का बहुत वर्णन नहीं है, लेकिन यह जरूर बताया गया है कि शकुनि की पत्नी का नाम अर्शी था। उसके तीन पुत्र थे। वे उलूक, वृकासुर और वृप्रचित्ति थे। महाभारत युद्ध में उलूक भी मारा गया। वृकासुर भी उसी युद्ध में मारा गया। वृप्रचित्ति युद्ध में बच जरूर गया। बाद में वह गांधार का राजा बना।
महाभारत युद्ध के 18वें दिन शकुनि 500 घोड़ों, 200 रथों, 100 हाथियों और 1000 सैनिकों की सेना के साथ डटा हुआ था। उस दिन कौरव सेना को भारी क्षति हुई। ऐसा लग रहा था कि कौरवों की हार निश्चित है। जब शकुनि और उसका पुत्र उलूक सहदेव की ओर दौड़े तो सहदेव के भाले से उलूक का सिर टूट गया और वह मारा गया। इसके बाद शकुनि और भी अधिक भयंकर युद्ध करने लगा। उसे भी अपने पुत्र की मृत्यु का सदमा लगा। उसने भीषस शक्ति अस्त्र से सहदेव पर आक्रमण किया। उस शक्ति को बाण से निष्प्रभावी करने के बाद सहदेव ने भाले से शकुनि का सिर काट दिया।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.