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Mahadev Fact: महादेव ने क्यों धारण की बाघ की खाल, क्या है इसके पीछे का विज्ञान -Indianews

BY: Itvnetwork Team • LAST UPDATED : April 20, 2024, 9:23 am IST
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Mahadev Fact: महादेव ने क्यों धारण की बाघ की खाल, क्या है इसके पीछे का विज्ञान -Indianews

Mahadev Fact

India News (इंडिया न्यूज़), Mahadev Fact: भगवान शिव सनातन संस्कृति में एक महानतम देवता माने जाते हैं। उन्हें ‘महादेव’ के रूप में पुकारा जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘महान देवता’। महादेव का आदि-अंत नहीं माना जाता है और उन्हें संसार के सर्वोच्च देवता के रूप में पूजा जाता है। वे संसार के सृष्टि और संहार के देवता माने जाते हैं और उनके प्रतीक का एक महत्वपूर्ण अंग हैं ‘बगलामुखी’ या ‘बगलामुखा’। बगलामुखी एक शांत स्वरूपी देवी हैं, जो अपने भक्तों की संगीन शक्ति को नियंत्रित करती हैं। उनका रूप एक बाघिन की एक पूर्णतया पूरी छवि में दिखाई देता है, जिसमें वह शक्ति और साहस का प्रतीक होते हैं। महादेव का बाग की खाल धारण करने के पीछे पौराणिक और वैज्ञानिक दोनों कारण है।

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बाघ की खाल के पीछे की धार्मिक कथा

महादेव ने बाघ की खाल क्यों पहनी, इसका कारण एक अत्यंत रोमांचक कथा से जुड़ा है। एक पुरातात्विक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने हिरण्याकशिपु के वध के बाद नरसिंह अवतार लिया था, जिसमें वे आधे नर और आधे सिंह के रूप में थे। उनके क्रोध से भरे हुए विकराल रूप ने सभी को भयभीत किया था। इस स्थिति में, भगवान शिव ने अपने अंश अवतार को उत्पन्न किया, जिसे वीरभद्र कहा गया। वीरभद्र ने नरसिंह अवतार को शरभ के रूप में परिणत किया, जो गरुड़, सिंह और मनुष्य के मिश्रित रूप में था। शरभ ने नरसिंह भगवान को अपने पंजों से उठा लिया और उन पर अपनी चोंच से हमला किया। नरसिंह भगवान घायल हो गए और इस परिस्थिति में उन्होंने अपना शरीर त्यागने का निर्णय लिया।

फिर, उन्होंने भगवान शिव से निवेदन किया कि उनका चर्म उनका आसन बन जाए। इस प्रार्थना के परिणामस्वरूप, शंकर जी ने उनके चर्म को अपना आसन स्वीकार किया, जिससे वे भगवान विष्णु के रूप में स्थायी हो गए। इसीलिए उन्हें बाघ की खाल पहने हुए दिखाया जाता है।

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इस वैज्ञानिक कारण से महादेव पहनते थे बाघ की खाल

भगवान शिव के चित्र में उन्हें बाघ की खाल पहने हुए दिखाया जाता है, जो एक पौराणिक संदेश के अलावा एक वैज्ञानिक पहलू भी प्रकट करता है। यह प्राचीन कला का एक अद्वितीय पहलू है जो विज्ञान के साथ भी गहरा संबंध बताता है। बाघ की खाल ऊर्जा की सबसे अच्छी कुचालक है। ऊर्जा के प्रवाह को रोकने के लिए किसी अविष्कार की आवश्यकता नहीं है। प्रकृति में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बाघ की खाल का उपयोग करके बताया कि कैलाश पर्वत जैसी अत्यधिक ठंडी जगह पर भी इस प्रकार की तकनीक का उपयोग करके उस की हानि से बचा जा सकता है।

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