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India News (इंडिया न्यूज), Marriage Mantra: आषाढ़ महीने में आने वाली गुप्त नवरात्रि इस साल 6 जुलाई से शुरू हो गई है और 15 जुलाई तक चलेगी। यह नौ दिन की अवधि माता भगवती के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास में आने वाली गुप्त नवरात्रि का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रि के समान ही है।
ज्योतिषियों के अनुसार, गुप्त नवरात्रियों को गुप्त विधान कहा जाता है। जहां चैत्र और शारदीय नवरात्रियों में बड़े-बड़े सिद्धजन, ऋषिजन और वैदिक ब्राह्मण सार्वजनिक अनुष्ठान करते हैं, वहीं गुप्त नवरात्रियों में ये सिद्धजन और ऋषिजन स्वयं का ही भजन और साधना करते हैं।
मां भगवती की आराधना: गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह साधना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
आत्मिक साधना: गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक आत्मिक उन्नति के लिए गुप्त और निजी साधनाएं करते हैं। इस समय सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है।
संतुलन और शांति: गुप्त नवरात्रि के अनुष्ठानों के द्वारा साधक मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। इससे आंतरिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
व्रत और उपवास: साधक गुप्त नवरात्रि के दौरान व्रत और उपवास का पालन करते हैं। इससे उनके शरीर और मन की शुद्धि होती है।
मंत्र जाप और ध्यान: इस समय साधक विशेष मंत्रों का जाप और ध्यान करते हैं। इससे उनकी आत्मिक उन्नति होती है।
पूजा और हवन: गुप्त नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से मां भगवती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
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गुप्त नवरात्रि हमें सिखाती है कि आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक विकास के लिए हमें नियमित साधना और ध्यान करना चाहिए। यह समय हमें आंतरिक शांति, संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करता है।
इस प्रकार, गुप्त नवरात्रि का महत्व और उसकी साधनाओं का पालन हमें आध्यात्मिक और आत्मिक दृष्टिकोण से उन्नत बनाता है। यह समय साधकों के लिए आत्म-अन्वेषण और आत्म-उन्नति का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
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गुप्त नवरात्रि का समय अविवाहित पुरुषों और युवाओं के लिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषी उपाध्याय के अनुसार, इस अवधि में विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए एक खास उपाय बताया गया है।
ज्योतिषी उपाध्याय के अनुसार, जिन युवाओं के विवाह में रुकावट आ रही है, वे निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं:
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“ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंद गोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥”
साफ-सुथरे स्थान का चयन: सबसे पहले एक साफ और शांत स्थान का चयन करें जहाँ आप बिना किसी व्यवधान के मंत्र जाप कर सकें।
पूजा सामग्री: एक साफ आसन, जल पात्र, दीपक, धूप, और पुष्प रखें। मां कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र भी रखें।
स्नान और स्वच्छ वस्त्र: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दौरान मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध होना आवश्यक है।
दीप प्रज्वलित करें: पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
मंत्र जाप: शांत मन से मां कात्यायनी की आराधना करें और उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप के दौरान मां से अपनी इच्छा व्यक्त करें और पूर्ण विश्वास के साथ मंत्र का उच्चारण करें।
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विवाह में आ रही रुकावटों का निवारण: मंत्र जाप से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और सुयोग्य वधु की प्राप्ति होती है।
आत्मिक शांति: मंत्र जाप से मन को शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
सकारात्मक ऊर्जा: इस जाप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।
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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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