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यहां दर्द से चीखती हुई आती हैं आत्माएं, एकदम सामने दिखता है प्रेत… वैज्ञानिक भी राज खोलने में हुए फेल, एक बार गए तो होगा ऐसा हाल?

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 24, 2024, 3:49 pm IST
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यहां दर्द से चीखती हुई आती हैं आत्माएं, एकदम सामने दिखता है प्रेत… वैज्ञानिक भी राज खोलने में हुए फेल, एक बार गए तो होगा ऐसा हाल?

Mehndipur Balaji: मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर रहस्य, भक्ति, और भूत-प्रेतों की मान्यताओं का अनूठा संगम है। जहां एक ओर लोग यहां अपनी श्रद्धा व्यक्त करने आते हैं, वहीं दूसरी ओर भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाने वाले लोगों के लिए यह मंदिर एक आखिरी आशा का केंद्र बना हुआ है।

India News (इंडिया न्यूज), Mehndipur Balaji: राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर एक ऐसा स्थान है जो न सिर्फ श्रद्धालुओं बल्कि उन लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो भूत-प्रेत या नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित माने जाते हैं। दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर इस पवित्र स्थल का दृश्य किसी अन्य धार्मिक स्थल जैसा ही है—फूलमालाएं, पूजा सामग्री की दुकानें, भक्ति गीतों की गूंज, और भक्तों की भीड़। लेकिन जो इसे विशिष्ट बनाता है, वह है यहाँ आने वाले लोग, जिनमें से कई प्रेत बाधा से ग्रस्त होते हैं और अपनी मुक्ति के लिए बालाजी महाराज के समक्ष अर्जी लगाने आते हैं।

भूत-प्रेतों की पेशी और मुक्ति की मान्यता

मेहंदीपुर बालाजी धाम में यह मान्यता है कि भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियां यहां उपस्थित होती हैं और बालाजी महाराज के सामने पेशी के दौरान इनसे छुटकारा मिलता है। लोग बताते हैं कि मंदिर के नजदीक पहुंचते ही पीड़ितों पर सवार प्रेत उनकी हरकतें तेज कर देते हैं। कई मामलों में, प्रेत मंदिर में प्रवेश करने से पहले खुद को बचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार से लोग प्रवेश करते हैं, प्रेतों की ताकतें कमजोर पड़ने लगती हैं।

मंदिर परिसर के बाहर आपको कई लोग चीखते-चिल्लाते, बाल झटकते, और विचलित हालत में दिखेंगे। पुरुषों की संख्या कम होती है जबकि महिलाओं पर प्रेत बाधा का असर ज्यादा देखा जाता है। इन दृश्यों से मंदिर का वातावरण एक अद्वितीय ऊर्जा से भर जाता है, जो श्रद्धालुओं और आगंतुकों को भय, श्रद्धा और रहस्य के मिले-जुले भाव में कैद कर देता है।

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तीन मुख्य स्थल: बालाजी, प्रेतराज और भैरो बाबा

मेहंदीपुर बालाजी में तीन प्रमुख स्थलों की पूजा की जाती है—बालाजी महाराज, प्रेतराज और भैरो बाबा। बालाजी महाराज का मुख्य मंदिर पहाड़ी की तलहटी में स्थित है, जबकि प्रेतराज और भैरो बाबा के स्थल पहाड़ी के ऊपरी हिस्से में हैं। इस स्थान को ‘तीन पहाड़’ के नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु पहले बालाजी महाराज के मुख्य दरबार में जाते हैं, जहां लंबी कतारों में भक्त उनकी प्रतिमा के दर्शन करते हैं। मंदिर के अंदर का माहौल शांत और अंधकारमय होता है, जहां केसरी रंग में लिपटी प्रतिमा की आराधना की जाती है।

रहस्यमयी पहाड़ और पंचमुखी हनुमान

मंदिर से थोड़ी दूरी पर तीन हिस्सों में बंटे पहाड़ों पर चढ़ाई के दौरान बाईं ओर हनुमान जी की विशाल 151 फीट ऊंची प्रतिमा दिखती है। पहाड़ी के अन्य मंदिरों में पंचमुखी हनुमान का प्राचीन मंदिर और भोलेनाथ के 12 शिवलिंग स्थापित हैं। यहां मां मनसा देवी, पितांबरी माता और अंजनी माता की मूर्तियां भी विराजित हैं। प्रेतराज सरकार और भैरो बाबा का अंतिम मंदिर पहाड़ के तीसरे हिस्से में स्थित है, जहां कई पीड़ित परिवार भूत-प्रेत से मुक्ति के लिए आते हैं।

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तंत्र विद्या और विशेष अनुष्ठान

मंदिर के आसपास कुछ तांत्रिक भी अपने दरबार लगाते हैं, जहां भूत-प्रेत बाधाओं का निवारण किया जाता है। भूत-प्रेत उतारने के इन अनुष्ठानों में नारियल, नींबू, सफेद धागे का इस्तेमाल होता है। कई बार महंत भैरो बाबा को शराब और सिगरेट चढ़ाते हैं, जो बाबा को प्रसन्न करने का एक तरीका माना जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्रेत को कैद करने के लिए मंदिर के परिसर में लगे नीम के पेड़ के नीचे ताले बांधे जाते हैं।

काली मां का मंदिर और बंद आत्माओं की कहानियां

तीन पहाड़ के आखिरी हिस्से में स्थित काली मां का मंदिर भी ताले से बंधी आत्माओं की कहानियों से भरा है। कहा जाता है कि प्रेत बाधा से घिरे लोग यहां ताले बांधते हैं ताकि उनके ऊपर का प्रेत कैद हो जाए। इस मंदिर के पास का प्राचीन नीम का पेड़ भी अपनी रहस्यमयी शक्तियों के कारण जाना जाता है, जिसे आज तक कोई नहीं काट पाया है।

होटल और धर्मशालाओं का डरावना अनुभव

मेहंदीपुर बालाजी में धर्मशालाओं और होटलों में ठहरने का अनुभव भी डरावना हो सकता है। कई बार रात के समय कमरे से चीखें सुनाई देती हैं, जो प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों की होती हैं। यहां अधिकतर लोग ऐसे होते हैं जो प्रेत बाधा से ग्रस्त होते हैं, और इस वातावरण में रुकना किसी के लिए भी एक भयावह अनुभव बन सकता है।

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विशेष नियम और आरती

बालाजी धाम के नियमों के अनुसार, यहां आने वाले लोगों को चावल, उड़द की दाल, लाल मिर्च, और करुआ तेल जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना होता है। बिना लहसुन-प्याज का भोजन यहां का मुख्य आहार है, जिसे भक्त 21 या 51 दिनों तक पालन करते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर रहस्य, भक्ति, और भूत-प्रेतों की मान्यताओं का अनूठा संगम है। जहां एक ओर लोग यहां अपनी श्रद्धा व्यक्त करने आते हैं, वहीं दूसरी ओर भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाने वाले लोगों के लिए यह मंदिर एक आखिरी आशा का केंद्र बना हुआ है। मंदिर की पौराणिकता और इसकी शक्तियां लोगों को अजीबोगरीब लेकिन सम्मोहक अनुभव प्रदान करती हैं, जो यहां आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अविस्मरणीय बन जाती हैं।

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Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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