संबंधित खबरें
अगर श्री कृष्ण चाहते तो चुटकियों में रोक सकते थे महाभारत का युद्ध, क्यों नही उठाए अपने अस्त्र? इस वजह से बने थे पार्थ के सारथी!
आखिर क्या वजह आन पड़ी कि भगवान शिव को लेना पड़ा भैरव अवतार, इन कथाओं में छुपा है ये बड़ा रहस्य, काशी में आज भी मौजूद है सबूत!
इन 3 राशि के जातकों के लिए खास है आज का दिन, गजकेसरी योग से होगा इतना धन लाभ की संभाल नही पाएंगे आप! जानें आज का राशिफल
एक तवायफ के लिए जब इन 2 कट्टर पंडितों ने बदल दिया था अपना धर्म…आशिक बन कबूला था इस्लाम, जानें नाम?
दैवीय शक्तियों का आशीर्वाद किन्नरों को दिया दान… इस अशुभ ग्रह को भी शांत कर देगा जो इस प्रकार किया ये कार्य?
12 साल बाद इस राशि में बनने जा रहा है महाशक्तिशाली गजलक्ष्मी राजयोग, 2025 शुरू होते ही इन 3 राशियों को छप्पर फाड़ देंगी पैसा
India News (इंडिया न्यूज़),Muharram: मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने का नाम है। इसकी शुरुआत 8 जुलाई 2024 से शुरु हो गई है। हुई, आज मुहर्रम का पहला दिन है। दूसरे कैलेंडर के नए साल की शुरुआत खुशी से मनाई जाती है लेकिन मुसलमानों के लिए मुहर्रम गम का महीना होता है। मुहर्रम के 10वें दिन पैगंबर मुहम्मद के पोते की उनके पुरुष परिवार के सदस्यों और अनुयायियों के साथ हत्या कर दी गई थी। कुल 72 लोग मारे गए थे। पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन, परिवार के सदस्यों और अनुयायियों की इराक के कर्बला शहर में हत्या कर दी गई थी। कर्बला में यह नरसंहार 10 अक्टूबर 680 ई. को हुआ था।
पैगंबर मुहम्मद की संतानों में केवल एक बेटी फातिमा थी। परिवार में फातिमा और उनके पति अली और उनके बच्चे थे। बच्चों में दो बेटे और दो बेटियां थीं। बेटे हसन और हुसैन थे और बेटियां ज़ैनब और उम्मे कुलसुम थीं। फातिमा का पाँचवाँ बच्चा जन्म से पहले ही गर्भ में मर गया, जिसका नाम उन्होंने मोहसिन रखा।
बता दें कि, यजीद और हुसैन के बीच दुश्मनी नई नहीं थी। हुसैन के पिता अली और नाना पैगम्बर मुहम्मद और यजीद के पिता मुआविया और दादा अबू सुफियान के बीच गहरे धार्मिक वैचारिक मतभेद थे। मक्का की फ़तह के दौरान अबू सुफियान के परिवार ने यथास्थिति को तोड़कर इस्लाम स्वीकार कर लिया था, लेकिन उनके दिलों में हमेशा पैगम्बर मुहम्मद और उनके परिवार के लिए नफ़रत थी। अबू सुफियान के बेटे मुआविया ने इमाम अली के खिलाफ़ युद्ध और षड्यंत्र किए। फिर यजीद ने इमाम हुसैन को अपने प्रति वफ़ादार होने के लिए मजबूर किया। जिसकी परिणति कर्बला की लड़ाई में हुई। यहीं पर यजीद की सेना ने पैगम्बर के परिवार का कत्लेआम किया जिसमें महिलाओं और बच्चों पर अनगिनत अत्याचार किए गए।
Kokila Vrat 2024 Date: शिव के लिए कब रखा जाएगा कोकिला व्रत? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त
यजीद हर वो काम करता था जिसे करने से पैगम्बर ने उसे मना किया था। पैगम्बर द्वारा दी गई हर सुन्नत को तोड़ने का उसका पक्का इरादा था। यजीद चाहता था कि मुस्लिम खलीफा के तौर पर हुसैन जो कुछ भी कर रहे थे, उस पर उनकी मंजूरी हो। वह चाहता था कि हुसैन उसके इरादों के आगे झुकें। हुसैन यजीद से लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन जब उन्होंने यजीद की मांग नहीं मानी, तो यजीद की सेना ने हुसैन पर युद्ध थोप दिया।
पैगंबर के पोते को मारने वालों ने मुसलमान होने का दावा किया, लेकिन उनके कामों से यह साफ हो गया कि इस्लाम उनके दिलो-दिमाग से दूर था। ऐसा माना जाता है कि ‘दूसरों पर जुल्म करने वालों’ की जड़ें इसी समूह के लोगों से आती हैं। 10 मुहर्रम को कर्बला में हुए नरसंहार ने अच्छाई और बुराई के बीच एक रेखा खींच दी… जिसने यह सबक दिया कि हर कर्बला के बाद इस्लाम जिंदा हो जाता है। पैगंबर का परिवार मारा गया, लेकिन जिन मूल्यों के लिए वे लड़ रहे थे, वे बरकरार हैं।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.