संबंधित खबरें
महाभारत युद्ध के बाद आखिर ऐसा क्या हुआ जो भारत में नजर आने लगा तबाही का मंजर! जाने क्या है उन 18 दिनों की कहानी?
महाभारत में दुर्योधन के कुकर्मों के बाद भी क्यों मिला स्वर्ग, और पांडवों को अपनी अच्छाई के बाद भी इस एक गलती के कारण झेलना पड़ा था स्वर्ग!
Kalashtami Katha 2024: जब भगवान शिव के इस अवतार ने अपने नाखून से काटा था ब्रह्मा जी का सर, ब्रह्म हत्या के पाप का लग गया था आरोप, जानिए क्या है इसका रहस्य!
इन 4 राशि के जातकों के वेशी योग से खुल जाएंगे भाग्य, इतनी मिलेगी सुख समृद्धि जिसे आप भी होंगे बेखबर, जानें क्या है आज का राशिफल?
चल रही है शनि की महादशा? इस तरीके से शनि महाराज से मांगें माफी, कट जाएंगे सारे कष्ट…दिखेगा शनि का अलग रूप
घर में शराब रखना होता है शुभ? आचार्य ने बताया रखने का सही तरीका…अचानक मिलने लगेंगी ये 3 अनमोल चीजें
सुधांशु जी महाराज
उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम चारों दिशाओं में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम मानवमात्र के लिये श्रद्धा और आस्था के केन्द्र हमेशा से रहे हैं। भगवान राम के जीवन से हमें प्रेरणा प्राप्त होती है कि चाहे जीवन में कैसी भी स्थिति क्यों न हो, कितनी भी आपदाएं, मुसीबतें, हानियां, दुखों का अंधेरा बन कर सामने आ जाए, किन्तु अपने श्रद्धा के दीप को कभी कमजोर न पड़ने दना, अपनी आस्था के फूलों को कुम्हलाने न देना, एक न एक दिन बहार जरूर खिलेगी। भगवान श्रीराम ने वनवास के समय बहुत सी विपत्तियों का सामना किया, दुष्ट राक्षसों की अनैतिक छल-कपट वाली दुखदाई समस्याएं भी सामने आईं, माता जानकी का भी वियोग उन्होंने सहन किया, वन में रहकर वन्य प्राणियों की सेना बनाई, विशाल समुद्ध पर सेतु बनाया, अहंकार और हिंसा के पुजारी राक्षसराज रावण पर विजय प्राप्त की, लेकिन अपने गुरुजनों के प्रति, अपनी जन्मभूमि के प्रति, अपनी प्यारी माताओं के प्रति उन्होंने श्रद्धा के महाभाव के कमी नहीं आने दी।
चौदह वर्षों की वनयात्र के उपरांत जब वे अयोध्या में पधारे तब उनका कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही दीप मालाओं से अयोध्या वासियों ने स्वागत किया। तब से लेकर आज तक समूचा हिन्दू समाज धूम-धाम से प्रत्येक वर्ष उसी तिथि को दीपावली मनाता है। परंतु यहां यह कहना प्रासंगिक होगा त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम, माता सीता और अपने अनुज लक्ष्मण सहित अयोध्या आए थे, उस समय जो दीपावली मनाई गई थी, दीए जलाए गए थे, उन दीपों में जो तेल था वह श्रद्धा का ही द्रवित रूप और जो बाती थी, वह आस्था के ही फूलों की कपास से निर्मित थी। और आज भी धरा पर जो प्रकाश कि किरणें जगमगा रही हैं, आज भी जो पूरे देश में दीपावली मनाई जा रही है, वह भी श्रद्धा और आस्था का ही सुपरिणाम है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है।
कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ-सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नजर आते हैं।
Never Let the Lamp of Faith Weaken in Life दीपावली पर सब मिलजुलकर श्रद्धा के दीप जलाएं:
अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उलास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चल आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ करते हैं, नये कपड़े पहनते है। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बांटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है। दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। आओ! दीपावली पर सब मिलजुलकर श्रद्धा के दीप जलाएं, परस्पर प्रेम का भाव बढ़ाएं और अपने जीवन को विश्वास की सुवास से सजाएं।
Read More : Violence is not stopping in Tihar Jail: तिहाड़ जेल में अंकित गुर्जर की हत्या के बाद माहौल तनावपूर्ण
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.