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New Year 2024: इस तरह नए साल मनाने की हुई शुरूआत और लीप ईयर की गणना, जाने क्यों लिया जाता है रेजोल्यूशन!

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : December 30, 2023, 6:56 pm IST
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New Year 2024: इस तरह नए साल मनाने की हुई शुरूआत और लीप ईयर की गणना, जाने क्यों लिया जाता है रेजोल्यूशन!

New Year 2024

India News (इंडिया न्यूज़), New Year 2024: वैसे तो नए साल मनाने का रेजोल्यूशन पांच हजार साल पुराना है, जो मेसोपोटामिया के बेबिलोनियाई सभ्यता के दौरान शुरू हुई थी। उस वक्त भौतिकता का अभाव था और जीवन यापन कृषि आधारित था। बता दें कि नववर्ष मनाने की शुरुआत बेबीलोन के लोगों ने ही की, जिसे वो बारह दिन के त्योहार के रूप में मनाते थे। इन बारह दिनों के दौरान वो अपने राजा और दोस्तों से ये वादा करते थे कि वो जल्दी ही कर यानी टैक्स अदा करेंगे और उधार लिए औजारों को वापस कर देंगे और अपने दोस्तों और पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते बनाएंगे।

चीन के लोग रेजोल्यूशन को गुड लक मानते थे और रोमन लोग नए साल पर भगवान की आराधना करते थे। एक तरह से देखा जाए तो रेजोल्यूशन का चलन हजारों साल पुराना है।

नए साल की शुरुआत कब से हुई

सबसे पहले नववर्ष की शुरुआत मार्च महीने से हुई थी, जिसमें साल में सिर्फ दस महीने होते थे और आठ दिनों का एक हफ्ता होता था। जी हां, तब साल में बस 310 दिन ही होते थे, ऐसा ही सब लोग जानते थे। लेकिन बाद में इसमें खगोलविदों ने दिनों की गणना के आधार पर संशोधन किया।

रोमन शासक ने माना एक जनवरी को नया साल

रोमन शासक जुलियस सीजर ही सबसे पहले एक जनवरी को नया साल मनाने वाला पहला व्यक्ति था। खगोल शास्त्रियों से जानकारी प्राप्त कर उसने पाया कि पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन और 6 घंटे में लगाती है। ऐसे में पहले से चली आ रही इस सोच को ही जुलियस सीजर ने खत्म कर दिया कि एक साल में 310 दिन होते हैं और सबको बताया कि साल में 365 दिन और 6 घंटे होते हैं। इसी आधार पर साल में 12 महीने होने लगे।

ऐसे सामने आया लीप ईयर

हालांकि, बाद में भी इस विषय पर काफी विचार-विमर्श हुआ, जिसमें पोप ग्रेगरी को जुलियस सीजर के इस कैलेंडर में लीप ईयर की कमी दिखाई पड़ी। फिर उसने अपने धर्म गुरु से इसपर चर्चा की, जिनका नाम था गुरु सेंट बीड। उन्होंने बताया कि साल में 365 दिन और 6 घंटे नहीं, बल्कि 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकेंड होते हैं। इस आधार पर लीप ईयर भी सामने आया और फिर गणनाएं पूरी हुईं। फिर रोमन कैलेंडर को हटाकर ग्रेगरियन कैलेंडर का निर्माण हुआ, जो हर पैमाने पर खरा उतरा और तभी से 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाने लगा।

नववर्ष मनाने की मान्यताओं की बात करें तो हमारे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसे मनाने को लेकर अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। लेकिन लगभग पूरी दुनिया में ही 1 जनवरी को ही न्यू ईयर मनाता है।

 

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