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Paush Amavasya 2025: आज है पौष अमावस्या! नोट करें सही पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, जानें क्या है महत्व

Paush Amavasya 2025: आज पौष माह की अमावस्या है, जिसे पौष अमावस्या कहा जाता है. आज के दिन पितरों की पूजा की जाती है और उनके लिए दान और तर्पण किया जाता है. आइये जानते हैं यहां आज के दिन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat), सही पूजा विधि (Puja Vidhi), मंत्र (Mantra) और क्या है महत्व

Written By: Chhaya Sharma
Last Updated: December 18, 2025 21:06:15 IST

Paush Amavasya 2025: आज पौष अमावस्या है और यह दिन पितरो की पूजा के लिए बेहद खास और महत्वपुर्ण माना जाता है. क्योंकि मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए कर्मों से खुश होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. इस दिन पितरो के लिए किया गया दान और तर्पण स्वर्गीय पूर्वजों की आत्मा को शांति पहुंचाता है और आपको पुण्य फल देता है. आज के दिन कई लोग पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए उपवास भी रखते हैं. आइये जानते हैं यहां आज के दिन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat), सही पूजा विधि (Puja Vidhi), मंत्र (Mantra) और क्या है महत्व 

आज पौष अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह में अमावस्या तिथि का प्रारंभ आज 19 दिसंबर के दिन सुबह 5 बजे से हुआ, जो 20 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक रहेगी. आइये जानते है आज के दिन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat).

  • ब्रह्म मुहूर्त:- सुबह 05:19 बजे से सुबह 06:14 बजे तक
  • प्रातः सन्ध्या:- सुबह 05:47 बजे से सुबह07:09 बजे तक
  • अभिजित मुहूर्त:- सुबह 11:58 बजे सेदोपहर 12:39 बजे तक
  • विजय मुहूर्त:- दोपहर 02:02 बजे से दोपहर 02:43 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त:- शाम  05:25 बजे से शाम 05:53 बजे तक
  • सायाह्न सन्ध्या:- शाम 05:28 बजे से शाम 06:50 बजे तक
  • अमृत काल:- दोपहर 01:03 बजे से दोपहर  02:50 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त: देर रात 11:51 बजे से देर रात 12:46 बजे तक, दिसम्बर 20

पौष अमावस्या के दिन पूजा की सही विधि

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें, अगर ऐसा संभव ना हो, तो घर पर स्नान के जल में गंगाजल डाल लें. इसके बाद साफ वस्त्र पहने और घर के मंदिर के स्थान को साफ करें और उसे भी गंगाजल से शुद्ध करें. घर के मंदिर में दीपक जलाएं और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें और फिर पितरों की शांति के लिए तर्पण करें. इसके अलावा पूजा में भगवान विष्णु जी का ध्यान करें और विधि-विधान से पूजा करें, ऐसा इसलिए क्योंकि पौष अमावस्या का दिन भगवान विष्णु को भी समर्पित होता है. इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें भगवान की आरती अवश्य करें और भगवान को भोग भी अर्पित करें. पौष अमावस्या पर दान-पुण्य भी करें. ऐसा करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा पौष अमावस्या के दिन भगवान शिव के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा का भी विधान है, ऐसे में आज चंद्र या उनकी प्रतिमा को देखतर चंद्र देव का ध्यान करना चाहिए. शिवलिंग पर स्थापित चंद्र देव का दूध से अभिषेक करें.

मंत्र जरूर पढ़े

  • ॐ पितृदेवाय नमः ॥
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
  • ॐ नमः शिवाय ॥

पौष अमावस्या का महत्व क्या है? 

अमावस्या के स्वामी पितृदेव माने जाते हैं, इसलिए इस तिथि पर पितरों की पूजा की जाती है और उनके दिन दान और तर्पण किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या पर दान और तर्पण करने से तिपरों की आत्मा को शांति मिलती है और आपकोपूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहा जाता है कि जब पितृ खुश होते है, तो जीवन से कष्ट दूर हो जाते हैं और घर परिवार में खुशियां बनी रहती है. 

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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